एक माह का वेतन मिलने पर भड़के शिक्षाकर्मी, कर सकते हैं बड़ा आंदोलन

रायपुर। राज्य सरकार को शिक्षा की गुणवत्ता से तो मतलब है, लेकिन शिक्षकों की गुणवत्ता से उसे कोई लेना-देना नहीं है। यह कहना है कि शिक्षाकर्मी नेताओं का, पिछले तीन माह से वेतन के लिए तरस रहे शिक्षाकर्मियों को केवल दिसंबर माह का वेतन जारी हुआ है। इसे लेकर शिक्षाकर्मियों में भारी आक्रोश है।
शिक्षाकर्मियों के विभिन्न संगठनों और संघ के नेताओं ने इस पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार को शिक्षाकर्मियों की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। पिछले तीन माह से वेतन के लाले पड़े हैं, इस संबंध मेंं सीईओ, डीईओ, बीईओ के वेतन रोके जाने की भी मांग शिक्षाकर्मियों ने की है, ताकि इन अधिकारियों को भी पता चल सके कि बिना वेतन के काम करने के बाद परिवार चलाना कितना दुष्कर कार्य होता है। शिक्षाकर्मी संगठनों के लगातार दबाव के बाद अब जाकर एक माह का वेतन जारी किया गया है।
इसमें भी केवल दिसंबर माह का लंबित भुगतान करने का आदेश जारी हुआ है। जबकि होना यह था कि चूंकि फरवरी 28 का महीना है, लिहाजा शिक्षाकर्मियों को पुरे तीन माह का वेतन एलॉट करना था। लेकिन जानबूझकर और शिक्षाकर्मियों को परेशान करने के उद्देश्य से केवल दिसंबर माह का वेतन जारी किया गया है। इधर शिक्षाकर्मी संगठनों और शिक्षाकर्मी संघ के पदाधिकारियों ने इसे जले पर नमक छिड़कने की संज्ञा देते हुए कहा कि एक माह का वेतन दिया जाना शिक्षाकर्मियों को और ज्यादा नाराज और आक्रोशित करने वाला है। राज्य सरकार को अपने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की चिंता तो सता रही है, लेकिन शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ाने की चिंता जरा भी नहीं है। भूखे पेट रहकर और अपने परिजनों को भूखा रहकर आखिर शिक्षाकर्मी कितनी गुणवत्ता वाला शिक्षा दे सकता है? इस बात की चिंता राज्य सरकार को करनी चाहिए।
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