शिक्षाकर्मियों के संविलियन पर बनी आम सहमति, संघ की कार्ययोजना पर हुई चर्चा
रायपुर। वृदांवन हाल में रविवार को संविलियन सहित विभन्न मुद्दों पर खुली परिचर्चा का आयोजन किया गया है। जिसमें मौजूद विशेषज्ञों ने कहा कि शिक्षाकर्मी व्यवस्था खत्म की जानी चाहिए। इस दौरान परिचर्चा में संविलियन को लेकर आम सहमति बनी। परिचर्चा में मौजूद विशेषज्ञों को अपने विचार रखे। हरिभूमि के संपादक हिमांशु द्विेदी ने कहा कि शिक्षाकर्मी नामक व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए और शीघ्र उनका संविलियन मूल विभाग में किया जाना चाहिए। सेवानिवृत्त आईएएस गणेश शंकर मिश्रा ने कहा कि शिक्षाकर्मी शिक्षा की गुणवत्ता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राज्य शिक्षा आयोग के अध्यक्ष चंद्रभूषण शर्मा ने कहा कि संविलियन किया जाना चाहिए। आयोग इस बात को सरकार के समक्ष प्रमुखता से रखेगा। शिक्षाविद् दानीराम वर्मा, कर्मचारी के प्रदेशाध्यक्ष विजय झा, अधिवक्ता नाथूदास मानिकपुरी और वैभव शिव ने भी अपने विचार रखें।
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संविलियन को लेकर रविवार को हुई शिक्षाकर्मियों की खुली चर्चा में विभिन्न मुद्दों पर बात की गई है। इस दौरान शिक्षाकर्मियों ने कई प्रस्तावों पर निर्णय लिया गया। प्रेदशाध्यक्ष शालेय शिक्षाकर्मी संघ वीरेन्द्र दुबे ने बताया कि सभी जिलों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए कार्यशाला का आयोजन करना, स्कूलों में सालभर महत्वपूर्ण तिथियों, राष्ट्रीय पर्वो पर परिचर्चा का आयोजन किया जाना, सह-संज्ञानात्मक क्षेत्र में उपलब्धि के सतत् प्रयास, छात्रों के साथ संबंधों में प्रगाड़ता, शिक्षकों और छात्रों के व्यक्तित्व विकास के लिए समुचित प्रयास, बच्चों को वर्तमान व भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बनाना शामिल है। इसके अलावा संविलियन, क्रमोन्नत वेतनमान, सातवां वेतनमान, वेतन विसंगति का निराकरण के लिए शिक्षक मोर्चा के प्रमुख घटक के रुप में कार्य कर सार्थक परिणाम प्राप्त करने के लिए कार्य करने का निर्णय लिया गया, जिसके के लिए शिक्षाकर्मियों तीन महीने का समय तय किया है। कार्यक्रम का संचालन जीतेन्द्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन धर्मेंद्र शर्मा ने किया। कार्यक्रम में सुनील सिंह, चंदशेखर तिवारी, सत्येंद्र सिंह, सर्वजीत पाठक, हिमन कोर्राम, जोगेंद्र यादव, संतोष शुक्ल, सी पी तिवारी, उपेंद्र सिंह, भोजराम पटेल, शिवेंद्र चंद्रवंशी, मारुती शर्मा, राजेसज पाल, घनश्याम पटेल, भानु डहरिया, डॉ. संतावना ठाकुर की सक्रीय भागीदारी रही ।
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