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संविलियन करना है तो ठोस नीति बनाएं और तत्काल अमल में लाया जाए : शिक्षाकर्मी

रायपुर। संविलियन के मुद्दे पर अडिग शिक्षाकर्मियों ने राज्य सरकार पर मामले को लटकाने का आरोप लगाते हुए कहा कि संविलियन के मुद्दे पर अधिकारियों का दौरा और अध्ययन करने की बात बेमानी है। यदि संविलियन करना है तो इसके लिए ठोस नीति बनाई जाए और तत्काल निर्णय को अमल में लाया जाए। ज्ञात हो कि शिक्षाकर्मियों के संगठनों ने एकमत होकर 11 मई को महापंचायत बुलाने का निर्णय लिया है। इसके लिए शिक्षाकर्मियों के विभिन्न संगठनों की तैयारियां शुरू हो गई है। दूसरी ओर संयुक्त संगठन के नेताओं ने राज्य सरकार पर संविलियन को लटकाने का आरोप लगाया है। शिक्षाकर्मी नेताओं का कहना है कि पहले अधिकारियों की एक टीम राजस्थान के अध्ययन पर रवाना हुई और वापस लौट आई। वहां क्या अध्ययन किया गया, रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। अब एक बार फिर से अधिकारियों का दल मध्यप्रदेश रवाना किए जाने की बात कही गई है। आखिर इस तरह के दौरों से क्या हासिल होना है? उल्टे समय की बर्बादी हो रही है सो अलग। राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, राज्य सरकार की मंशा अब स्पष्ट नजर आती है। चुनाव के पूर्व तक सरकार मामले को लटकाए रखने के प्रयास में है। ताकि आचार संहिता लागू हो जाने की बात कहकर सरकार एक बार फिर से संविलियन के मुद्दे पर निर्णय लेने से बच सके। राज्य के 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मी इस बात से भलीभांति परिचित हैं। शिक्षाकर्मियों को आश्वासन नहीं अब निर्णय चाहिए।


शिक्षाकर्मी नेताओं ने कहा कि मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मियों का संविलियन हुआ ही नहीं है, उनके लिए वहां कोई नीति बनाई ही नहीं गई है तो अध्ययन दल किस बात का दौरा करने वाली है। शिक्षाकर्मी नेताओं ने कहा कि लाखों शिक्षाकर्मी राज्य सरकार की मंशा से वाकिफ हो चुके हैं, अब 11 मई को होने वाली महापंचायत में इस बात का निर्णय होगा कि आगे क्या कदम उठाया जाए। इधर सूत्रों की माने तो महापंचायत के बहाने शिक्षाकर्मी एक बार फिर से अपनी एकजुटता दिखाएंगे और राज्य सरकार पर संविलियन के लिए दबाव बनाएंगे, दूसरी रणनीति यह भी हो सकती है कि शिक्षाकर्मी एक बार फिर से बड़ा आंदोलन शुरू कर दें। बहरहाल 11 मई को होने वाले शिक्षाकर्मियों के महापंचायत के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। \

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