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बारिश होगी या नहीं… ऐसे की जाती है मौसम की गणना… जानिए सब कुछ…

अंबिकापुर । आज का तापमान कितना है, कल बारिश होगी, हवा कितनी तेजी चल सकती है, ओले तो नहीं गिरेंगे, इस तरह के मौसमीय उतार-चढ़ाव की गणना की प्रणाली जितनी रोचक है, उतना ही पूरे विश्व के आबो-हवा के लिए जरूरी है। एक जगह की मौसम की गणना दूसरे इलाके के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसी के चलते अंतरराष्ट्रीय मौसम निगरानी के नियमानुसार सभी गणनाएं सतही वेधशालाओं द्वारा एक समय पर एक साथ ली जाती है। पूरे विश्व भर में मौसमी तत्वों की गणना का समय ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) समय के अनुसार मध्य रात्रि 12 बजे यानी शून्य ऑवर से प्रारंभ होती है।

जीएमटी के अनुसार लंदन में देर रात 12 बजे तो अंबिकापुर के मौसम वेधशाला में भोर में साढ़े पांच बजे में प्रथम मौसमीय गणना ली जाती है। पूरे विश्व में मौसम की गणना दिनभर में हर तीन-तीन घंटे में ली जाती है। यानी पूरे 24 घंटे के दौरान आठ बार मौसम की गणना होती है। यह गणना पूरे विश्व के मौसम गणना केंद्रों तक एक घंटे के भीतर पहुंच जाती हैं।



ग्रीन विच मीन टाइम भारतीय समय से साढ़े पांच घंटा आगे है। इसलिए शून्य आवर यानी भारतीय समयानुसार सुबह 5.30 बजे अंबिकापुर स्थित प्रथम श्रेणी की मौसम विज्ञान विभाग की वेधशाला में पहली गणना की जाती है। इसके प्रत्येक तीन घंटों के अंतराल में तीन, छह, नौ, 12, 15, 18 और 21 बजे यानी भारतीय समयानुसार क्रमशः सुबह साढ़े आठ बजे, 11.30, दोपहर ढाई बजे, शामा साढ़े पांच बजे, रात साढ़े आठ बजे, देर रात 11.30 और मध्य रात्रि के बाद ढाई बजे इसकी गणना होती है। इस तरह पूरे एक दिन के 24 घंटों में कुल आठ बार गणना की जाती है।

कोड में भेजी जाती है गणना की जानकारी
सभी प्रेक्षणों को अंकीय कोड प्रणाली में अर्थात सभी घटनाओं को अंकों की भाषा में बदल कर सन्देश तैयार किया जाता है। अंबिकापुर में मौसम की गणना लेने के बाद तत्काल उसे रायपुर भेजा जाता है। रायपुर से नागपुर और फिर पुणे तथा दिल्ली के मुख्य मौसम स्टेशनों में भेजे जाते हैं। इन कोडिय सन्देशों को तत्काल विश्व भर के प्रमुख निगरानी केंद्रों को भेज दिया जाता है। सभी देश अपने अपने मानचित्रों पर प्राप्त इन आंकड़ों को प्रेक्षण केंद्रों के अनुसार दर्ज करते हैं। सभी प्रेक्षण केंद्रों को एक कूट नाम दिया गया है।



अंबिकापुर प्रेक्षण केंद्र का कूटनाम 42693 दिया गया है। अंबिकापुर की वेधशाला सिनोप्टिक श्रेणी की है। सिनोप्टिक वेधशालाओ की संख्या देश में सबसे ज्यादा है। प्रत्येक 150 किमी की दूरी पर एक सिनोप्टिक वेधशाला स्थापित करना अनिवार्य है। आज जहां यह व्यवस्था स्थापित नहीं हो पाई है वहां स्वचालित मौसम वेधशाला स्थापित कर मौसमी आंकड़ा प्राप्त किया जा रहा है।

अरस्तु ने मौसम निगरानी का दिया था सिद्घांत
मौसमी परिवर्तन और मानव जीवन पर उसका व्यापक प्रभाव के साथ जैव क्रियाप्रणाली की मौसम पर निर्भरता जितनी आदिकाल में थी उतनी ही आज भी प्रासंगिक है। ईसा पूर्व चौथी शताब्दी के मध्य में विश्व के महान विद्वान अरस्तु की कृति मिटियोरोलजिका में पहली बार मौसम विज्ञान के आध्यात्मिक कारणों का खंडन करते हुए इसके प्रेक्षण और तर्क पर आधारित मौसमी निगरानी के कार्य के क्षेत्र में एक नवीन प्रतिमान को जन्म दिया गया। पूरे विश्व भर की मौसम निगरानी के उद्देश्य से 23 मार्च सन 1950 को विश्व आधुनिक मौसम संगठन की स्थापना की गई। वर्तमान में 164 देश इसके सदस्य हैं।



बाक्स गणना में इन उपकरणों का होता है उपयोग
मौसम वेधशालाओं में मौसमी तत्वों की गणना में कई उपकरणों का उपयोग किया जाता है। तापमान के लिए तापमापी, हवा के दबाव के लिए वायु दाबमापी, एनिमोमीटर, विंडवेंन, वर्षामापी, जल वाष्पनमापी, सनसाइन रिकार्डर, हेयर हाइग्रोमीटर, साइक्रोमीटर हैं। अंबिकापुर स्थित वेधशाला में कमोबेश सभी उपकरण मौजूद हैं। आधुनिकतम मौसमी यंत्रों में डाप्लर राडार नामक यन्त्र अत्यंत प्रभावकारी सिद्ध हुआ है।

वेधशालाओं में इसकी होती है गणना
मौसम वैज्ञानिक एएम भट्ट ने बताया कि वेधशालाओं में प्रत्येक तीन-तीन घंटों के अंतराल में उस समय के मौसमी तत्वों के साथ, मौसम में हुए परिवर्तनों का प्रेक्षण किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से वायु का तापमान, वायु में नमी की मात्रा, वाष्पदाब, उस समय हवा की दिशा व गति, सतही व समुद्र तल पर स्थानीय वायुदाब, वायुमण्डल की दृश्यता, आसमान में विभिन्न परतों के बादलों का प्रकार व उनकी मात्रा, बादलों की आधार तल से ऊंचाई, जल का वाष्पन और तापमान, सूर्य की चमक, पिछले तीन घंटों की अवधि में हुई वर्षा की मात्रा और इस अवधि में हुई मौसमी घटनाओं जैसे वर्षा, गर्जन, तेज हवा या आंधी, ओलावृष्टि आदि का होने का समय व अवधि का प्रेक्षण। इन आंकड़ों को वायुमण्डलीय प्रेक्षणों तथा मौसमी उपग्रहों से प्राप्त चित्रों के साथ शामिल कर आगामी सम्भावित मौसमी घटनाओं का पूर्वानुमान तैयार कर इसे लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया जाता है।

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