
कोरोना संक्रमण को देखते हुए और हजारों प्रवासी मजदूरों की हो रही घर वापसी को लेकर पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में तगड़ी व्यवस्थाएं की गईं हैं। इसके लिए कई निजी स्कूलों और कहीं-कहीं होटलों को भी क्वारेंटाइन सेंटर में तब्दील किया गया है।
ये तो अच्छी बात है कि निजी स्कूल और होटलों ने जिला प्रशासन को अपने-अपने संस्थानों को बिना किसी दबाव या शर्त के देश और प्रदेश के प्रति अपनी जिम्मेदारियां दिखाते हुए सौंप दिया है। लेकिन क्या इतने से ही मामला खत्म हो जाता है। शायद नहीं…
प्रशासन को भी कुछ इन स्कूलों के बारे में सोचना होगा, जहां एक-एक स्कूलों में सैकड़ों प्रवासी मजदूरों के लिए खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की गई है, लेकिन कुछ ऐसी व्यवस्थाएं भी हैं, जिनको लेकर स्कूल प्रबंधन की नींद उड़ी हुई है।
ताजा मामला जांजगीर-चांपा जिले के स्कूलों का है, जहां नाम की शर्त पर कई स्कूल के प्राचार्य और जिम्मेदार अधिकारी बताते हैं कि कोरोना संक्रमण को लेकर देश और प्रदेश की हिफाजत को लेकर उन्होंने योगदान दिया है, लेकिन टेंट, खाना-पीना, राशन जैसी व्यवस्थाएं कर प्रशासन अपनी कर्तव्य की इतिश्री समझ रहे हैं।
इसके अलावा कई ऐसे भी खर्चें है, जिनका भुगतान स्कूल प्रबंधन को तुरंत करना पड़ रहा है, इसके एवज में उन्हें शायद ही कोई राशि प्राप्त हो। इसके अलावा यदि किसी स्कूल प्रबंधन ने आनाकानी की तो उसका परिणाम क्या होगा, ये प्रबंधन को भी अच्छे से पता है। इसके बाद भी कई निजी स्कूलों ने अपनी शालाएं सरकार को सौंप दी है।
लेकिन इसके एवज में बहुत सी व्यवस्था करने की जिम्मेदारी भी स्कूल प्रबंधन के कंधों पर ही आ गई है। मसलन, एक प्राचार्य का कहना है कि तैयारियों के लिए टैंट, कुर्सी, खाना बनाने की सामाग्री सभी तो प्रशासन दे देता है। पर इसके एवज में मजदूरों को जो छिट-पुट भुगतान करना पड़ता है, उसकी मार सीधे स्कूल प्रबंधन को पड़ती है।
पानी का टैंकर हो या बिजली का बिल, क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए इन सारे स्कूलों के नाम ही आएगा, तो यदि यही छिटपुट खर्चा लगातार जोड़ा जाए तो यही हजारों में पहुंच जाएगा। इसके भुगतान को लेकर स्कूल प्रबंधन चिंता में है। दूसरी ओर लगातार स्कूल बंद रहने के चलाते निजी स्कूल भी आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं।
ऐसे में शिक्षकों के वेतन का भुगतान, स्कूल मेंटनेस, बिजली-सफाई की व्यवस्था जैसी दीगर जरूरतों को पूरा करना आज बड़ी चुनौती बना हुआ है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि जब वो कोरोना संक्रमण के चलते सरकार का सहयोग लगातार कर रहे हैं, तो उन्हें भी हमारे लिए कुछ सहयोग की भावना से जरूर कुछ करना चाहिए।