रायपुर। सेन्ट्रल जोनल काउन्सिल की 22वीं बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रमुख मुद्दों पर कहा कि भारत सरकार की जैर्व इंधन नीति, 2018 के प्रावधानों के अंतर्गत छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बायो एथेनॉल सयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए निजी निवेश को आमंत्रित करने हेतु विज्ञापन जारी किया है।
हमारा अनुरोध है कि राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति धान आधारित बायो एथेनॉल के विक्रय मूल्य को शीरा/ शक्कर/शुगर सिरप से उत्पादित एथेनॉल के विक्रय दर के समतुल्य रखा जाए तथा धान के एथेनॉल उत्पादन में उपयोग की अनुमति भी दी जाए, ताकि बायो एथेनॉल का उत्पादन वाणिज्यिक आधार पर लाभप्रद बना रहे।
वहीं राज्य के 10 जिले भारत सरकार द्वारा घोषित आकांक्षी जिलों में आते हैं, जिनमें से बस्तर संभाग के 7 जिलों के साथ 3 अन्य जिले राजनांदगांव, महासमुंद तथा कोरबा हैं। इन जिलों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तथा इनमें से वामपंथी उग्रवाद प्रभावित अंचलों में नवनिर्माण के लिए 11,443.76 करोड़ रूपये का विशेष पैकेज भारत सरकार के पास लंबित है जिसे अतिशीघ्र मंजूर किये जाने की आवश्यकता है। छत्तीसग की सीमाएं 7 राज्यों से मिलती है, जिसके कारण प्रदेश को इन 7 राज्यों के लॉजिस्टिक हब तथा ऐविएशन हब के रूप में विकसित करने की प्रबल उपयोगिता है।
इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भी हमने भारत सरकार को दिया है, तथा इस संबंध में सकारात्मक पहल भी अपेक्षित है। इसी तरह बिलासपुर से भी शीघ्र वायुवान सेवा चालू करने का अनुरोध किया। छत्तीसगढ़ स्थित गंगा कछार में कोलर्बिरा जलाशय, सुलमुली, नवापार, सुतिया, कलुआ, लखनपुर बैराज, सिरसिरा बैराज, केरामा टैंक, सितकालो टैंक, जूर बैराज, पूवरी बैराज, कुमरेवा टैंक, तुरगा टैंक, इन योजनाओं की लागत लगभग 500 करोड़ रूपये अनुमानित है।
उक्त योजनाओं के पूर्ण होने से न केवल क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण का कार्य हो सकेगा, अपितु भूमि जल का रिचार्ज, कृषि हेतु जल की उपलब्धता एवं गंगा नदी में वर्ष भर जल प्रवाह बनाये रखने का कार्य किया जा सकेगा। वहीं झीरमघाटी की घटना को लेकर एनआईए की कार्यप्रणाली से कुछ असमंजस की स्थिति बनी है, जिसका समाधान नीति संगत रूप से आवश्यक प्रतीत होता है।
राज्य शासन द्वारा प्रकरण की डायरी एनआईए को सौंपी गई थी। एनआईए ने अपनी जांच पूरी कर ली तथा प्रकरण समाप्त कर दिया। छत्तीसगढ़ सरकार को इस प्रकरण के कुछ अन्य तथ्यों की जांच हेतु डायरी की आवश्यकता है जिसके लिए राज्य शासन द्वारा तीन बार एनआईए से अनुरोध किया जा चुका है। कृपया संबंधित संस्था को इस बाबत् निर्देश प्रदान किया जाना चाहिए।सेन्ट्रल जोनल काउन्सिल की बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा…भारत सरकार के पास विशेष पैकेज के तहत 11 हजार करोड़ रूपये लंबित हैै… जिसे अतिशीघ्र मंजूर किया जाए…
रायपुर। सेन्ट्रल जोनल काउन्सिल की 22वीं बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रमुख मुद्दों पर कहा कि भारत सरकार की जैर्व इंधन नीति, 2018 के प्रावधानों के अंतर्गत छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बायो एथेनॉल सयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए निजी निवेश को आमंत्रित करने हेतु विज्ञापन जारी किया है। हमारा अनुरोध है कि राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति धान आधारित बायो एथेनॉल के विक्रय मूल्य को शीरा/ शक्कर/शुगर सिरप से उत्पादित एथेनॉल के विक्रय दर के समतुल्य रखा जाए तथा धान के एथेनॉल उत्पादन में उपयोग की अनुमति भी दी जाए, ताकि बायो एथेनॉल का उत्पादन वाणिज्यिक आधार पर लाभप्रद बना रहे।
वहीं राज्य के 10 जिले भारत सरकार द्वारा घोषित आकांक्षी जिलों में आते हैं, जिनमें से बस्तर संभाग के 7 जिलों के साथ 3 अन्य जिले राजनांदगांव, महासमुंद तथा कोरबा हैं। इन जिलों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तथा इनमें से वामपंथी उग्रवाद प्रभावित अंचलों में नवनिर्माण के लिए 11,443.76 करोड़ रूपये का विशेष पैकेज भारत सरकार के पास लंबित है जिसे अतिशीघ्र मंजूर किये जाने की आवश्यकता है। छत्तीसग की सीमाएं 7 राज्यों से मिलती है, जिसके कारण प्रदेश को इन 7 राज्यों के लॉजिस्टिक हब तथा ऐविएशन हब के रूप में विकसित करने की प्रबल उपयोगिता है।
इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भी हमने भारत सरकार को दिया है, तथा इस संबंध में सकारात्मक पहल भी अपेक्षित है। इसी तरह बिलासपुर से भी शीघ्र वायुवान सेवा चालू करने का अनुरोध किया। छत्तीसगढ़ स्थित गंगा कछार में कोलर्बिरा जलाशय, सुलमुली, नवापार, सुतिया, कलुआ, लखनपुर बैराज, सिरसिरा बैराज, केरामा टैंक, सितकालो टैंक, जूर बैराज, पूवरी बैराज, कुमरेवा टैंक, तुरगा टैंक, इन योजनाओं की लागत लगभग 500 करोड़ रूपये अनुमानित है।
उक्त योजनाओं के पूर्ण होने से न केवल क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण का कार्य हो सकेगा, अपितु भूमि जल का रिचार्ज, कृषि हेतु जल की उपलब्धता एवं गंगा नदी में वर्ष भर जल प्रवाह बनाये रखने का कार्य किया जा सकेगा। वहीं झीरमघाटी की घटना को लेकर एनआईए की कार्यप्रणाली से कुछ असमंजस की स्थिति बनी है, जिसका समाधान नीति संगत रूप से आवश्यक प्रतीत होता है। राज्य शासन द्वारा प्रकरण की डायरी एनआईए को सौंपी गई थी। एनआईए ने अपनी जांच पूरी कर ली तथा प्रकरण समाप्त कर दिया। छत्तीसगढ़ सरकार को इस प्रकरण के कुछ अन्य तथ्यों की जांच हेतु डायरी की आवश्यकता है जिसके लिए राज्य शासन द्वारा तीन बार एनआईए से अनुरोध किया जा चुका है। कृपया संबंधित संस्था को इस बाबत् निर्देश प्रदान किया जाना चाहिए।
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