बदल गए सरकारी कर्मचारियों की नौकरी से जुड़े नियम… नहीं ली ये मंजूरी तो जिंदगी भर रहेंगे टेंशन में…

सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (CVC) ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार के सभी संगठनों में काम करने वाले नौकरशाहों (Bureaucrats) को रिटायरमेंट के बाद रोजगार देने से पहले सतर्कता विभाग (Vigilance Department) से अनिवार्य रूप से मंजूरी लेनी चाहिए. CVC की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया कि अगर किसी रिटायर हो चुके अधिकारी ने एक से अधिक संगठनों में काम किया हे तो उन सभी संगठनों से सतर्कता संबंधी मंजूरी प्राप्त की जानी चाहिए. इसमें अधिकारियों के पिछले 10 साल के रिकॉर्ड को खंगाला जाएगा.
CVC का यह आदेश केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, उपक्रमों, बैंकों और बीमा क्षेत्र से रिटायर होने वाले अधिकारियों के लिए अनिवार्य होगा. सीवीसी ने आदेश में कहा, ‘सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों को नियुक्त करने से पहले उन संगठनों से सतर्कता संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए कोई परिभाषित प्रक्रिया नहीं है, जहां ऐसे सेवानिवृत्त अधिकारियों ने सेवानिवृत्ति से पहले पूर्णकालिक आधार पर सेवाएं दी थी.’
आयोग ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि सरकरी संगठनों से रिटायर हो चुके अधिकारियों को नियुक्त करने से पहले सतर्कता मंजूरी प्राप्त करने के लिए एक समान परिभाषित प्रक्रिया नहीं है. इसी के आभाव में कभी-कभी ऐसी स्थिति पैदा होती है, जहां अपने कार्यकाल के दौरान गड़बड़ी में लिप्त रहे या जिनके खिलाफ मामले लंबति हैं, ऐसे अधिकारियों को सरकारी संगठनों में फिर से नियुक्त कर दिया जाता है.
कहां से लेनी होगी सतर्कता मंजूरी?
CVC ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति न केवल अनावश्यक शिकायतों/पक्षपात के आरोपों को जन्म देती है, बल्कि निष्पक्षता और ईमानदारी के सिद्धांतों के खिलाफ भी है. जो सरकारी संगठनों के कामकाज को संचालित करने वाला मूल सिद्धांत है.’’ आयोग ने कहा कि अखिल भारतीय सेवाओं से संबंधित रिटायर हो चुकेअधिकारियों के संबंध में, केंद्र सरकार के समूह ए के अधिकारी या केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले या नियंत्रित अन्य संगठनों में उनके समकक्ष अधिकारियों को अनुबंध/परामर्श आधारित रोजगार देने से पहले, उस नियोक्ता संगठन से सतर्कता मंजूरी अनिवार्य रूप से प्राप्त की जानी चाहिए जहां से सरकारी अधिकारी सेवानिवृत्त हुए हैं.
पारदर्शिता पर जोर
CVC ने इस बात पर जोर दिया कि रिटायर्ड अधिकारियों को फिर से रोजगार देने की पेशकश पारदर्शी होनी चाहिए. इसके तहत उन लोगों को भी समान अवसर मिलना चाहिए तो उस के लिए अपनी सेवा देने को तैयार हैं. इस आदेश में कह गया है कि अनुबंध या परामर्श आधार पर भरे जाने वाले पद को संबंधित संगठन की वेबसाइट पर विज्ञापन के रूप में उचित स्थान पर डाला जाना चाहिए और यह सार्वजनिक मंच पर उपलब्ध होना चाहिए.
इन नियमों का भी नहीं हो रहा पालन
CVC ने कहा, ‘‘यह देखा गया है कि कुछ मामलों में सरकारी संगठनों से रिटायरमेंट के तुरंत बाद अधिकारी निजी क्षेत्र के संगठनों में पूर्णकालिक नौकरी या संविदा पर काम कर रहे हैं.’’ इसमें आगे कहा गया कि अक्सर इस तरह की पेशकश को स्वीकर करने से पहले संबंधित संगठनों के नियमों के तहत सेवानिवृत्ति के बाद कुछ अवधि के लिये कोई पद नहीं लेने की व्यवस्था का पालन नहीं किया जाता. आयोग के अनुसार सरकारी कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति के बाद अनिवार्य रूप से कुछ समय के लिये कोई पद स्वीकार नहीं करने के नियम का पालन नहीं करना और पेशकश स्वीकार करना ‘गंभीर कदाचार’ है.