छत्तीसगढ़

बटकी म बासी…अउ चुटकी म नून…कइसे बचथे एड्स से राजा सुन

रायपुर। एचआईवी संक्रमित लोगों के बढ़ते हुए आंकड़ों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य एड्स नियंत्रण समिति हर संभव प्रयास कर रही है। इसके चलते 480 कला दल के माध्यम से चिन्हकित जिलों, तहसीलों, ग्राम पंचायतों में इन दलों के द्वारा प्रचार-प्रसार किया जा रहा हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में बटकी म बासी अउ चुटकी म नून कइसे बचथे एड्स से राजा सुन…कुछ इन्हीं छत्तीसगढ़ी लोग गीतों के माध्यम से लोक कलाकार भीड़ इक्कठा कर एड्स के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
विभाग के आला अधिकारी के अनुसार राज्य सरकार एचआईवी संक्रमित मरीजों को बेहतर सुविधा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं। करोड़ों रूपए का बजट भी खर्च कर रही हैं। रोकथाम के लिए कला दला को चुना गया हैं।
उपरोक्त दल राज्य के चिन्हाकित 12 जिलों में कार्य कर रही हैं। जिसमें रायपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, कवर्धा, महासमुंद, गरियाबंद, बिलासपुर, रायगढ़, जांजगीर चांपा, कोरबा, बस्तर व कोरिया शामिल हैं। राज्य सरकार 15 आईसी वेन की व्यवस्था भी की गई है। जो गांव-गांव जाकर शासन की 9 योजनाओं का प्रचार-प्रसार तो करती ही है। साथ ही वाहनों में कलादल के कलाकार द्वारा नाचा-गमत कर एचआईवी संक्रमित मरीजों को दवा सहित सरकार द्वारा दी जा रही लाभकारी योजनाओं के संबंध में बताया जारहा हैं। छत्तीसगढ़ी गीत से आकर्षित होकर लोग आपस में चर्चा कर रहे हैं। एचआईवी पर नियंत्रण पाने विभाग अपने स्तर पर कार्य तो कर रहा हैं। राज्य सरकार लाभकारी योजनाों के साथ छूट का लाभ भी मरीजों को दे रही हैं।
बस किराया में छूट-वर्ष 2016 जून से एचआईवी पीडि़त एवं उनके एक सहायक के लिए बस किराया में छूट दिया जा रहा हैं। क्षमता अनुसार कार्य मनरेगा के अंतर्गत पंजीकृत एवं रोजगार की मांग करने वाले एड्स पीडि़त व्यक्तियों को उनके अनुसार कम मेहनत के कार्य दिए जाने के लिए समस्त जिला समन्वयक, जिलाधीश को कार्यवाही हेतु निर्देश जारी किया गया हैं।
गृह निर्माण में आरक्षण-तृतीय लिंग व एड्स पीडि़तों के लिए गृह निर्माण मंडल की आवासीय योजनाओं में 2 प्रतिशत का आरक्षण का प्रावधान रखा गया हैं।
एआरटी दवा लेने अवकाश- एचआईवी के साथ जीवन यापन कर रहें, विद्यार्थियों के लिए एआरटी दवा लेने सेंटरी जाने के लिए अवकाश की पात्रता दी जा रही हैं।
कौशल प्रशिक्षण व रोजगार-शहरी आजीविका मिशन अंतर्गत राज्य में एचआईवी पीडि़त के साथ रह रहे परिजनों को उनकी योग्यता के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया गया हैं।

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