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Pitru Paksha 2022: 12 साल बाद 16 दिनों का पितृ पक्ष आज से प्रारंभ, जानें श्राद्ध का सही समय और तिथियां

पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक साल में एक पक्ष समर्पित है, जिसे पितृ पक्ष (Pitru Paksha) या श्राद्ध पक्ष कहते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन अमावस्या तक होता है. अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या होता है. इस दिन ज्ञात और अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध कर्म किया जा सकता है. भारतीय संस्कृति में पितृ ऋण को एक विशेष स्थान प्राप्त है. अपने पितरों का आभार प्रकट करने और उनका स्मरण करने के लिए ही पितृ पक्ष है. इस समय में संतानें अपने पितरों को तृप्त करती हैं ताकि उनकी आत्माएं न भटकें और वे मोक्ष को प्राप्त हों.

पितृ पक्ष 2022 आज से प्रारंभ
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि इस साल पितृ पक्ष आज 10 सितंबर दिन शनिवार से प्रारंभ हो रहा है, इसका समापन 25 सितंबर को होगा. 25 सितंबर पितृ विसर्जन की तिथि है. 12 साल बाद इस बार पितृ पक्ष 16 दिनों का रहेगा. 16 दिनों की अवधि वाले पितृ पक्ष को ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना जाता है. पितृ पक्ष के पहले दिन यानि 10 सितंबर को पूर्णिमा और प्रतिपदा का श्राद्ध होगा.

ज्योतिषाचार्य डॉ. तिवारी का कहना है कि इस साल से पूर्व 2011 में 16 दिनों का पितृ पक्ष था. पितृ पक्ष यदि 16 दिनों का होता है तो उससे अशांति का वातावरण बनता है. इसके दोषों से बचने के लिए सर्व पितृ अमावस्या यानि आश्विन अमावस्या को विष्णु सहस्रनाम, गजेंद्र मोक्ष और गीता के 18वें अध्याय का पाठ करना चाहिए. इसके अतिरिक्त इस दिन पितरों के लिए विशेष तर्पण करना चाहिए. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होंगे, आपके परिवार में सुख और शांति रहेगी.

पितृ पक्ष में किस समय करें श्राद्ध?
पितृ पक्ष में प्रत्येक दिन कुतप काल होता है. यह समय दिन के 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक रहता है. इस अवधि में श्राद्ध कर्म करना उत्तम माना जाता है. कुतप काल को धर्म शास्त्रों में विशेष बताया गया है. दिन के के आठवें मुहूर्त को कुतप काल कहा जाता है. कुतप काल में अपने पितरों के लिए धूप डालकर तर्पण करना चाहिए. ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देना चाहिए और भोजन कराना चाहिए.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि आपके पितर प्रसन्न हैं तो देवता भी प्रसन्न होते हैं. इस वजह से पितृ पक्ष में हर इंसान को अपने पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और ब्राह्मण भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए. कहा जाता है कि इस समय में आप जो भी दान करते हैं, भोजन कराते हैं, वह पितरों को प्राप्त होता है, जिससे वे प्रसन्न होते हैं.

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