
रायपुर। प्रदेश के सभी स्कूल कल से प्रारंभ हो गए हैं और स्कूलों में रौनक लौट आई है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सभी जिला कलेक्टरों, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों, जिला शिक्षा अधिकारियों, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्यों और जिला मिशन समन्वयकों को शाला प्रवेश उत्सव के आयोजन के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं।
शाला प्रवेश उत्सव व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ आठ जुलाई तक आयोजित करने और 9 जुलाई से कक्षाओं में नियमित अध्ययन प्रारंभ करने कहा गया है। शाला में प्रवेश लेने वाले बच्चों का आज तिलक लगाकर और चॉकलेट खिलाकर स्वागत किया गया।
शाला प्रवेश उत्सव को जन अभियान बनाने और इसे सभी स्तर पर सफल बनाएं। छह से 18 वर्ष के शत-प्रतिशत बच्चों का शाला में प्रवेश एवं ठहराव सुनिश्चित करते हुए उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए। राज्य में सरकारी स्कूलों को असरकारी बनाने की दिशा में ठोस पहल प्रारंभ की जा चुकी है।
शाला प्रवेश उत्सव के दौरान सभी शासकीय शालाओं में स्कूल खुलते ही नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें एवं गणवेश वितरण, सक्रिय शाला प्रबंधन समिति का गठन और उन्हें बच्चों के प्रवेश नियमित उपस्थिति के लिए जिम्मेदारी दी जाए।
शाला परिसर का सौन्दर्यीकरण, बच्चों की दर्ज संख्या अनुसार शिक्षकों की उपलब्धता हेतु युक्तियुक्तीकरण किया जाए। शुरू के 15 दिनों तक बच्चों को गत वर्ष के लर्निंग आऊटकम और गत राज्य स्तरीय आकलन के परिणामों के आधार पर उपचारात्मक शिक्षण सामग्री संबंधी अभ्यास के लिए जिलों में डाइट के माध्यम से दिवसवार पैकेज उपलब्ध करवाया जाएगा।
शाला प्रवेश के पूर्व सभी शालाओं में माताओं का उन्मुखीकरण करते हुए उन्हें बच्चों का शाला में प्रवेश से लेकर नियमित उपस्थिति एवं घर में सहयोग देने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स दिए गए। सभी स्कूलों के बाहर समग्र शिक्षा के लिए चयनित नया लोगों और समग्र शिक्षा संबंधी विवरण का प्रदर्शन किया जाए।
शाला सुरक्षा से संबंधित विवरण भी प्रदर्शित किया जाए। शाला के आस-पास पढऩे योग्य आयु वर्ग के बच्चों को खोजकर शाला में प्रवेश दिलवाया जाए। शाला प्रवेश के लिए विभिन्न विभागों से समन्वय किया जाए।
इस वर्ष शाला में प्रारंभिक 15 दिनों तक गत सत्र के लर्निंग आऊटकम पर निरंतर सघन अभ्यास के अलावा प्रति दिन अलग-अलग मुद्दों पर फोकस करते हुए शाला स्तर पर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के संदेश का वाचन, शाला खोलने के लिए जिम्मेदार सदस्यों और पुराने विद्यार्थियों का स्वागत तथा उनके द्वारा शाला से जुड़े अपने अनुभवों का साझा करना, बच्चों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रसतुतिकरण एवं उनकी प्रतिभाओं से परिचय कराने, बच्चों और शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों द्वारा शाला के आस-पास रैली निकालकर सकारात्मक माहौल बनाकर प्रवेश दिलवाना, शाला में बच्चों की गुणवत्ता में सुधार पर फोकस करते हुए मिलकर एक मिशन स्टेटमेंट बनाकर उस पर पूरे सत्र में अमल करने के लिए कार्यवाही तय करना।
पाठ्य पुस्तकों में उपलब्ध क्यूआर कोड को देखने के तरीकों को बच्चों और पालकों को सिखाना। पालकों विशेषकर माताओं और बच्चों के लिए खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन। पढऩे में रूचि विकसित करने के लिए मुस्कान पुस्तकालय की पुस्तकों का वाचन।
समुदाय के बीच जाकर गणित मेला का आयोजन कर बच्चों की प्रतिभा का प्रदर्शन। बच्चों द्वारा विज्ञान में कबाड़ से जुगाड़ आधारित प्रयोगों का प्रदर्शन। गांव में स्कूल की पढ़ाई के बार में प्रचार-प्रसार के लिए दीवार लेखन।
समुदाय के लिए जन सहयोग के क्षेत्र की पहचान कर शाला द्वारा श्रमदान। शाला कार्यों में समय-समय पर सहयोग देने के लिए इच्छुक स्थाई पैनल से परिचय कराने के कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
यह भी देखें :