प्याज की चढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए सरकार ने बड़ी घोषणा की है। सरकार ने कहा है कि वह एक लाख टन प्याज का आयात करेगी। सरकारी स्वामित्व वाली व्यापार कंपनी एमएमटीसी इसका आयात करेगी। जबकि सहकारी संस्था नाफेड घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति करेगी।
राम विलास पासवान ने ट्वीट कर दी जानकारी
इस संदर्भ में केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने ट्वीट कर कहा कि, ‘सरकार ने प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए 1 लाख टन प्याज के आयात का फैसला लिया है।
MMTC 15 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच आयातित प्याज देश में वितरण के लिए उपलब्ध कराएगा और NAFED को देश के हर हिस्से में प्याज का वितरण करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।’
इससे पहले सरकार ने आनन-फानन में घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति सुधार के लिए धूम्र-उपचार (फ्यूमिगेशन) सहित कई नियमों को 30 नवंबर तक लचीला करने का एलान किया था। इसके साथ ही चार देशों अफगानिस्तान, इजिप्ट, तुर्की और ईरान से आयात करने का फैसला लिया गया था।
एक हफ्ते में 45 फीसदी बढ़े दाम
दिल्ली में प्याज का खुदरा मूल्य 45 फीसदी बढ़कर 80 रुपये किलो पहुंच गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, एक अक्तूबर को प्याज का भाव 55 रुपये किलो था। आकंड़ों के मुताबिक प्याज की कीमतों में पिछले साल की तुलना में करीब तीन गुना वृद्धि हुई है।
नवंबर 2018 में खुदरा बाजार में प्याज का भाव 30-35 रुपये किलो था। अधिकारी ने कहा कि निजी व्यापारियों ने सरकार को बताया कि आयातित प्याज के 80 कंटेनर भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुके हैं और 100 कंटेनरों को समुद्री मार्ग से भारत भेजा जा सकता है।
बीते कुछ महीनों में प्याज की कीमतें लगभग दोगुना हुई हैं। अगस्त में जहां एक किलो प्याज के लिए लोग 25 रुपये चुकाते थे, वहीं अक्तूबर माह में एक किलो प्याज 90 से 100 रुपये प्रति किलो के भाव से बिका।
इसलिए बढ़ी कीमत
इस संदर्भ में कारोबारियों का कहना है कि बीते वर्ष प्याज का बहुत कम उत्पादन हुआ था। इसलिए इसमें बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बेमौसम बारिश की वजह से प्याज की फसल प्रभावित हुई है। इसके अतिरिक्त कारोबारियों ने सरकार की प्रतिकूल नीतियों को इसका जिम्मेदार ठहराया है।
वहीं लासलगांव की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के अध्यक्ष जयदत्त होल्कर ने कहा है कि अक्तूबर और नवंबर में बेमौसम वर्षा हुई है, जिसकी वजह से खरीफ में बोई गई फसलों को नुकसान हुआ है।
आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में बोई गई शुरुआती किस्म की प्याज आवक को नुकसान पहुंचा है। यही कारण है, जिसकी वजह से बाजार में नई किस्म की प्याज आपूर्ति वहीं है।
ये कदम उठा चुकी है सरकार
पासवान ने कहा कि सरकार प्याज की कीमतें थामने के लिए कच्ची और प्रसंस्कृत प्याज के आयात पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुकी है।सरकार कारोबारियों पर स्टॉक लिमिट लगा चुकी है, जिससे जमाखोरी रोकी जा सके।
इसके अलावा ग्राहकों को राहत देने के लिए 23.40 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज बेच रही है।सरकार अपने बफर स्टॉक में से 57,000 टन प्याज निकाल चुकी है।
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