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सऊदी अटैक के झटके लिए रहें तैयार!…एक पखवाड़े में 5-6 रुपये लीटर बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम…

सऊदी अरब में अरामको के कच्चा तेल उत्पादन संयंत्रों पर हमले के बाद तेल की आपूर्ति में दिक्कतें आने से अगले एक पखवाड़े में भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम में पांच से छह रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो सकता है। ऐसा विशेषज्ञों का अनुमान है। दिल्ली में पेट्रोल का भाव अभी करीब 72 रुपये प्रति लीटर है।

कोटक की एक रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में उछाल आने के कारण भारत की तेल मार्केटिंग कंपनियां अगामी पखवाड़े में डीजल और पेट्रोल के दाम में पांच रुपये से छह रुपये प्रति लीटर की वृद्धि कर सकती हैं।

गौरतलब है कि सऊदी अरब में अरामको के तेल संयंत्र पर शनिवार को हुए ड्रोन हमले से सोमवार को वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आग लग गई। लंदन का ब्रेंट क्रूड फ्यूचर 19.5 फीसदी बढ़कर 71.95 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। यह 14 जून 1991 के बाद कच्चे तेल की कीमतों में सबसे बड़ा उछाल है।



इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को तो नुकसान होगा ही, सुस्ती का पहले से सामना कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी यह बड़ा झटका है। जानकारों का मानना है कि सऊदी अरब के प्लांट में तेल आपूर्ति सामान्य होने में कई हफ्ते लग सकते हैं। इस हमले से करीब 5 फीसदी ग्लोबल सप्लाई पर असर पड़ा है। अगले एक हफ्ते में ही कच्चे तेल की कीमतों में 15 से 20 डॉलर प्रति बैरल की बढ़त हो सकती है।

सार्वजनिक कंपनी एचपीसीएल के चेयरमैन एम।के। सुराणा ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा, ‘कच्चे तेल की कीमतों में यदि 10 फीसदी से ज्यादा की तेजी बनी रही तो पेट्रोल पंपों पर मिलने वाले ईंधन की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है।’
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सरकार ने अरामको के अध‍िकारियों से की है बात
हालांकि केंद्र सरकार ऐसी आशंका से इंकार कर रही है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘सऊदी के अरामको केंद्र पर हमले के बाद हमने अरामको के टॉप एक्जीक्यूटिव्स से संपर्क किया है।

हमने सितंबर के अपने क्रूड ऑयल सप्लाई की ओएमसी (तेल मार्केटिंग कंपनियों) के साथ समीक्षा की है। हमें पूरा भरोसा है कि भारत में आपूर्ति बाधित नहीं होगी और हम हालात पर गहराई से नजर रखे हुए हैं।’



एक महीने के भीतर कच्चे तेल के 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच जाने की आशंका है। आपूर्ति में बाधा की वजह से इस बात की आशंका भी है कि बाकी तेल कंपनियां जमाखोरी को बढ़ावा देंगी और काफी पैनिक सेंटिमेंट बन जाएगा। इसके पहले जुलाई 2008 में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत रेकॉर्ड 147 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुकी है।

न्यूज एजेंसी आईएएनएस को कुछ विशेषज्ञों ने बताया कि सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी अरामको पर हमले के कारण तेल के दाम में अगले कुछ दिनों के दौरान तेजी बनी रहेगी।

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