करवा चौथ को उत्तर और दक्षिण भारत में व्यापक स्तर पर मनाया जाता है। इस व्रत को मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा किया जाता है, उद्देश्य यही होता होता है कि पति की आयु लंबी हो और आजीवन अखंड सौभाग्य बना रहे।
आजकल कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को करती हैं। कुंवारी लड़कियां इसलिए करतीं है क्योंकि उनका उद्देश्य सुंदर और सुयोग्य वर की प्राप्ति का होता है। करवा चौथ का व्रत कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक बिना जल ग्रहण किए रहना होता है।
पहली बार करवा चौथ व्रत करने वाली महिलाएं क्या रखें सावधानियां
– करवा चौथ का व्रत उन्हीं महिलाओं को रखना चाहिए जो सुहागिन हैं।
– इस व्रत को वे लड़कियां भी रख सकती हैं जिनकी शादी तय हो गई है।
– पहली बार व्रत कर रही महिलाएं या लड़कियां घर के पूजा स्थल पर या मंदिर में पूजा कर सकती हैं।
– पूजा के लिए करवा-कैलेंडर का इस्तेमाल पूजा स्थल पर करना चाहिए।
– पूजन के समय चेहरा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
– करवा चौथ के दिन शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करना चाहिए।
-व्रती को करवा चौथ के दिन उजला कपड़ा पहनने से बचना चाहिए।
– लाल और पीले रंग का वस्त्र पहनना अच्छा माना गया है।
– पूजन के समय भगवान गणेश के सामने घी का दीपक जलाने से सौभाग्य प्राप्ति की मान्यता है। इसलिए यदि संभव हो तो ऐसा करें।
– गणेश जी को पीले रंग का वस्त्र और हल्दी की गांठ अर्पित करें।
– महिलाएं सुहाग सामग्री जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि इन चीजों को दान करें। भूलकर भी इन चीजों को कचड़े में नहीं फेकें।
– इस दिन 16 श्रृंगार करके पूजन करना चाहिए।
– सुहागन महिलाएं इस दिन किसी को भी दूध, दही चावल कोई भी सफेद चीज का दान नहीं करें। सफेद का संबंध चंद्रमा से है। माना जाता है कि सफेद चीज के दान से चंद्रमा अशुभ फल देते हैं।
– इस दिन मां गौरी को हलवा-पूरी का भोग जरूर लगाएं और उस प्रसाद को अपनी सास या फिर घर में अन्य कोई बुजुर्ग महिला को जरूर दें।
– करवा चौथ व्रत वाले दिन सिलाई, कटाई, बुनाई का काम करने की मनाही है। साथ ही सुई, चाकू जैसी चीजों से भी दूर रहना चाहिए।
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