रायपुर। हरितालिका तीज पर सुहागिनों ने उपवास रखकर अपने पति की दीर्घायु की कामना की। ससुराल से मायके पहुंचीं सुहागिनों में पर्व को लेकर विशेष उत्साह देखा गया। देर शाम तक महिलाओं ने शिव-पार्वती की पूजा अर्चना कर तीज व्रत कथा का श्रवण किया। श्रृंगार व पूजा विधान के पश्चात कीर्तन-भजन का दौर रात्रि में जारी रहा।
तीज पर्व का छत्तीसगढ़ में विशेष महत्व होता है। इस पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए महिलाएं अपने ससुराल से मायके पहुंच चुकी हैं। जो महिलाएं अपने मायके नहीं पहुंची, उन्होंने ससुराल में ही रहकर उपवास रखा। रविवार की सुबह से ही महिलाओं ने इस व्रत के लिए पूर्व से ही व्यापक तैयारी कर ली थीं।
उपवास के दौरान महिलाएं पूरे श्रृंगारिक वेशभूषा में एक-दूसरे को सजने-सजाने के लिए सहयोग देती रहीं। नई साड़ी व विविध आभूषणों से सजने के साथ-साथ हाथों में विविध आकृति के मेहंदी लगाने का दौर चलता रहा।
इस दौरान महिलाएं विविध प्रकार के व्यंजन बनाने व पूजा की तैयारी में भी लगी रहीं। शाम होते-होते महिलाओं ने गणेश व शिव-पार्वती की पूजा आराधना की। देर रात तक महिलाओं ने जागरण कर भजन-कीर्तन का आयोजन किया।
महिलाओं का मानना है कि इस त्योहार में उपवास का विशेष महत्व होता है। उपवास के माध्यम से एक ओर जहां ईश्वर से अमर सुहाग की कामना की जाती है, वहीं सुखद दांपत्य जीवन को लेकर पति-पत्नी के बीच में प्रेम और भी प्रगाढ़ होता है।
उपवास व पूजा अर्चना के बाद आज सुबह महिलाओं ने छत्तीसगढ़ी पकवानों से अपना व्रत तोड़ा। इसके बाद महिलाएं एक-दूसरे के घर जाकर छत्तीसगढ़ी पकवानों का खूब आनंद लिया।
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