छत्तीसगढ़: गणेश हाथी जंजीर तोड़कर भाग निकला…दहशत में ग्रामीण…रेडियो कॉलर आईडी से की जा रही निगरानी…वन विभाग ने जारी किया अलर्ट…पकडऩे सैकड़ों अधिकारी-कर्मचारियों की टीम तैनात…

कोरबा। जंगली हाथी गणेश जंजीर तोड़कर फरार हो गया है। गणेश के आजाद होने की खबर से कुदमुरा वन परिक्षेत्र के गांवों में फिर से दहशत फैल गई है। उधर पैरों में बंधी जंजीर जंगली हाथी गणेश के लिए भी जानलेवा बनी हुई है। इस समय गणेश कुदमुरा के खेतों में विचरण कर रहा है।
गणेश के भाग निकलने के बाद वन विभाग की मुश्किल बढ़ गई है, हालांकि गणेश की गर्दन पर लगे रेडियो कॉलर आईडी से उसकी निगरानी की जा रही है। हाथी के आक्रमक रुख को देखते हुए वन विभाग ने आसपास के क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया है। साथ ही एक सौ से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों की टीम को क्षेत्र में तैनात कर दिया है ताकि किसी तरह की जनधन हानि ना हो।
कोरबा और रायगढ़ जिले के वन क्षेत्रों में आंतक का पर्याय बन चुका जंगली हाथी गणेश रेस्क्यू के बाद पकड़ लिया गया था। लेकिन बुधवार और गुरूवार की दरम्यानी रात वह फिर आजाद हो गया। गणेश के आजाद होने की खबर से कुदमुरा वन परिक्षेत्र के गांवों में दहशत फैल गई है। उधर पैरों में बंधी जंजीर जंगली हाथी गणेश के लिए भी जानलेवा बनी हुई है।
वन मण्डल कोरबा और वन मण्डल धरमजयगढ़ का विभागीय अमला पिछले कई दिनों से जंगली हाथी गणेश को पकड़ कर तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर ले जाने के लिए प्रयासरत था। मंगलवार को दिनभर की मशक्कत के बाद कोरबा और धरमजयगढ़ वन मण्डल की संयुक्त टीम ने वल्र्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून के विशेषज्ञों और कुमकी हाथियों की मदद से ट्रेक्यूलाइज कर गणेश पर काबू पाया था।
उसे एक ट्रक में बैठाकर तमोर पिंगला भेजा जा रहा था लेकिन गणेश ने ट्रक में तोडफ़ोड़ करना शुरू कर दिया। इसके बाद गणेश को कोरबा वन मण्डल के कुदमुरा के गजदर्शन विश्राम गृह में जंजीरों से जकड़कर रखा गया। जंगली हाथी गणेश के पैरों में जंजीर डाला गया और गले में जंजीर डालकर एक पेड़ से बांधकर गया था।
अधिकारिक जानकारी के अनुसार बुधवार क ी देर रात गणेश गले का जंजीर तोड़कर भाग निकला। इस दौरान उसने विश्रामगृह में तोडफ़ोड़ की और भाग निकला। आजाद होने के बाद गणेश कुदमुरा के खेतों में विचरण कर रहा है।
गणेश के भाग निकलने के बाद वन विभाग की मुश्किल बढ़ गई है, हालांकि गणेश की गर्दन पर लगे रेडियो कॉलर आईडी से उसकी निगरानी की जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक अब 48 घंटे तक गणेश को ट्रेंकुलाइज नहीं किया जा सकता। बस उसकी निगरानी की जाएगी और उसके बाद ही ट्रेंकुलाइज कर फि र से रेस्क्यू किया जाएगा।
जंगली हाथी गणेश के आक्रमक रुख को देखते हुए वन विभाग ने आसपास के क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया है और एक सौ से अधिक अधिकारी कर्मचारियों की टीम को क्षेत्र में तैनात कर दिया है ताकि किसी तरह की जनधन हानि ना हो। गणेश ने पिछले छ: माह में दस से अधिक लोगों को अपने पैरों से कु चलकर मारा है और उसे बेहद खतरनाक समझा जाता है।
दूसरी ओर पीपल फ ार ऐनीमल (पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी की संस्था) रायपुर इकाई की संचालिका कस्तुरी बलाल ने कोरबा में बेहोश कर पकड़े गए गणेश का जीवन बर्बाद करने का षडय़ंत्र रचने का आरोप वन विभाग पर लगाया है।
उन्होंने एक विज्ञप्ति में कहा है कि गणेश को पकड़कर तमोर पिंगला स्थित हाथी रेस्क्यू सेंटर में रखने क ा आदेश प्रधान मुख्य वन संरक्षक छत्तीसगढ़ अतुल कुमार शुक्ला द्वारा जारी किया गया है। इस संबंध में गणेश हाथी को गैरकानूनी रूप से आजीवन बन्धक रखने की बजाय कानून के प्रावधानों के अनुसार तत्काल ही दूसरे हाथी रहवास के वन क्षेत्र में छोडऩे की मांग संस्था प्रमुख मेनका गांधी ने की थी।
परंतु वन विभाग ने वन्यजीव प्रेमियों की मांग को काटने के लिए ग्रामीण जनता की आवाज उठवा कर अपनी जिद पूरी करने का षडय़ंत्र रचा है। बलाल ने कहा है कि मीडिया और जनता को धोखा देने के लिये गणेश को बेहोशी का इंजेक्शन लगाने के बाद रेडियों कालर लगाकर ट्रक में चढ़ाकर मीडिय़ा और जनता को यह कहकर दिखाया गया कि गणेश को ऐलीफेंट रिजर्व के जंगल में छोड़े जाने के लिए रवाना किया जा रहा है।
वन विभाग के एक एसडीओ के माध्यम से भी मीडिया को बताया गया कि गणेश को सरगुजा के तमोर पिंगला अभ्यारण्य भेजा जाएगा। दूसरे दिन समाचार फैल जाने के उपरांत क्षेत्र के प्रभावी राजनेता भी गणेश को तमोर पिंगला के वन में छोडऩे का विरोध करने पर उतर गए और यही वन विभाग के कुछ अधिकारी चाहते थे।
अब वन विभाग को बहाना मिल गया है कि ग्रामीण और राजनेता नहीं चाहते कि गणेश को तमोर पिंगला के जंगल में छोड़ा जाये इसलिये गणेश को पिंगला के रेस्क्यू सेंटर में बन्धक रखा जाएगा। बलाल ने बताया कि हाथी को पकडऩे के तुरंत बाद ट्रांसलोकेट करना चाहिए था जबकि 24 घण्टे से ज्यादा समय से गणेश को कोरबा में ही बंधक रखा गया है।
उन्होंने वन विभाग से दो प्रश्न पूछे कि जब गणेश को टांसपोर्ट नहीं किया जाना था तो उसे ट्रक में चढ़ाकर क्यों और क्या बताने के लिए फोटो खिंचवाई गई। गणेश को 24 घण्टे से अधिक समय तक कोरबा में ही क्यों रखा गया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि वन विभाग यह भी चाहता है कि गणेश कोरबा में ही बीमार पड़ जाए जिससे उसे बंधक बनाकर रखने में बीमारी का बहाना भी सहारा बन जावें।
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