रायपुर। संसद में कैग की रिपोर्ट को प्रदेश कांग्रेस ने केन्द्र की मोदी सरकार पर हमला किया है। कैग की रिपोर्ट पर प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के 10 आकांक्षी जिलों के विकास को लेकर मोदी सरकार गंभीर नहीं है।
राज्य के 10 आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल किया है। राजनांदगांव, महासमुंद, कोरबा, बीजापुर, कांकेर, बस्तर कोंडागांव, दंतेवाड़ा, धमतरी एवं कवर्धा शामिल है। छत्तीसगढ़ में 6 माह में भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने इन जिलों सहित पूरे प्रदेश के विकास की दिशा में कदम बढ़ायें है।
लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार ने इस दिशा में कोई महत्वपूर्ण पहल अब तक नहीं की है। त्रिवेदी ने जानकारी दी है कि संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों की सहमति से सतत विकास लक्ष्य 2015 में तय किये थे।
जिन्हें 2030 तक हासिल किया जाना है। इसमें 17 बड़े लक्ष्य हैं तथा हर लक्ष्य के अंदर कई छोटे-छोटे लक्ष्य है। ये 17 बड़े लक्ष्य हैं- गरीबी समाप्त करना, कोई भूखा न सोये यह सुनिश्चित करना, अच्छा स्वास्थ्य एवं आरोग्य, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, साफ पानी एवं स्वच्छता, सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा, सम्मानपूर्ण रोजगार एवं आर्थिक विकास औद्योगिक नवाचार एवं बुनियादी ढांचा, असमानता में कमी, स्थायित्व वाले शहर एवं समुदाय, जवाबदेह उपभोग एवं उत्पादन, जलवायु के लिये काम, पानी के भीतर जीवन, जमीन पर जीवन, शांति, न्याय एवं सशक्त संस्थान और इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिये सहभागिता। निरीक्षक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने केन्द्र सरकार के साथ सात राज्यों-असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल में एसडीजी को लेकर हुई प्रगति की समीक्षा की।
संसद में पिछले सप्ताह पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया, सरकार ने केन्द्र तथा राज्य के स्तरों पर कई कदम उठाये है। त्रिवेदी ने कहा है कि हर क्षेत्र में कई ऐसे पहलू है, जिन पर ध्यान देने के साथ ही सुधारात्मक उपायों की जरूरत है।
केन्द्र के स्तर पर एसडीजी को लेकर नीतिगत दस्तावेज तैयार करने का काम अब भी पूरा नहीं हो सका है। संयुक्त राष्ट्र के एसडीजी लक्ष्यों के अनुरूप 2020, 2025 और 2030 के लिये पूर्व परिभाषित लक्ष्यों को रोडमैप तैयार करने का काम अभी बाकी है।
धन की व्यवस्था के बारे में कैग का कहना है एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिये संसाधन जुटाने के संबंध में धनराशि की जरूरत का आंकलन भी अभी तक नहीं किया गया है।
सरकारी लेखा और बजट में एसडीजी को शामिल करने का काम केन्द्र सरकार के स्तर पर अभी अधूरा है। राज्यों ने नीतिगत दस्तावेज तैयार नहीं किये हैं जबकि नीति आयोग और राज्यों द्वारा लक्ष्यों के निर्धारण का काम अब भी जारी है।
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