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बिहार में अब शराब पीने वालों को नहीं होगी जेल! नीतीश सरकार शराबबंदी कानून में कर सकती है संशोधन; जुर्माना देकर रिहा होंगे ‘शराबी’…

बिहार (Bihar) के नालंदा (Nalanda) जिले में जहरीली शराब (Poisonous Liquor) पीने से 13 लोगों की हुई मौत के बाद एनडीए (NDA) के आपसी दलों के बीच बहस शुरू हो गई है. ऐसे में सियासी कयासों का बाजार काफी गर्म हो गया है. वहीं, बिहार सरकार (Bihar Government) में सत्ता की भागीदार जनता दल युनाइटेड (JDU) और बीजेपी के बीच शुरू हुआ विवाद तल्ख रुख अख्तियार करता जा रहा है. इस बीच कोर्ट में मद्य निषेध से जुड़े लंबित मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए नीतीश सरकार (Nitish Kumar) शराबबंदी कानून (Liquor Ban) में बदलाव कर सकती है.

दरअसल, खबरों के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने इसको लेकर संशोधन प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है. हालांकि नए संशोधन में शराब पीने के अपराध में पकड़े गए अभियुक्तों को थोड़ी राहत मिल सकती है. वहीं, शराब पीने के जुर्म में जेल भेजने के बजाए मजिस्ट्रेट के समक्ष तय जुर्माना भरकर छोड़े जाने का प्रविधान किया जा सकता है. ऐसे में शख्स को जुर्माना न भरने की स्थिति में ही जेल भेजा जाएगा.

शराब बनाने और बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई
गौरतलब हैं कि जुर्माना नहीं भरने की हालत में ही अभियुक्तों को जेल भेजा जाएगा. हालांकि नए नियम के मुताबिक शराब बनाने और बेचने वालों पर पहले की तरह ही सख्त कार्रवाई जारी रहेगी. इस संशोधन प्रस्ताव पर फिलहाल मद्य निषेध विभाग के मंत्री से लेकर अधिकारी तक कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं. लेकिन इस बात की चर्चा है कि बिहार विधानमंडल के आगामी बजट सत्र में शराबबंदी कानून में संशोधन का प्रस्ताव सरकार सदन में ला सकती है. नई व्यवस्था का उद्देश्य कोर्ट का दबाव कम करने के लिए और लंबित पड़े मामलों के अलावा बड़े शराब माफियाओं और तस्करों को जल्द से जल्द सजा दिलवाना है.

सूबे के बड़े शराब माफिया पर कसेगा शिकंजा
बता दें कि खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक नई व्यवस्था का उद्देश्य कोर्ट में लंबित मामले को कम करने के साथ बड़े शराब माफिया और तस्करों को जल्द से जल्द सजा दिलाना भी है. ऐसे में सूत्रों के अनुसार, अभी 30 से 40 प्रतिशत केस शराब पीने वालों के खिलाफ दर्ज है. इनके कारण शराब तस्करी से जुड़े बड़े मामलों की सुनवाई भी प्रभावित हो रही. वहीं, माना जा रहा है कि संशोधन के बाद न्यायालयों में लंबित आवेदनों का दबाव कम होगा तो बड़े शराब माफिया और तस्करों के मामलों की सुनवाई जल्द पूरी हो सकेगी. साथ ही उनका ट्रायल जल्द पूरा कराकर सजा दिलाने की स्पीड़ भी बढ़ाई जाएगी.

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