पीरियड्स नहीं, बाथरूम से जुड़ी इस समस्या पर बात करने में सबसे ज्यादा शर्माती हैं लड़कियां

कई बार ऐसा होता है कि दौड़ते, छींकते या खांसते समय महिलाओं को बाथरूम लीकेज की समस्या हो जाती है. आप इसे रोकने की चाहे जितनी कोशिश करें लेकिन पैंट में थोड़ी बहुत लीकेज हो ही जाती है. कई बार ये स्थिति बहुत शर्मनाक हो जाती है. ज्यादातर महिलाएं इस समस्या पर बात करने से बचती हैं. ऐसा नहीं है कि यूरीनरी लीकेज सिर्फ उम्र के साथ होने वाली समस्या है. यूरोलॉजिक नर्सिंग में छपी एक स्टडी के मुताबिक, हाई स्कूल और कॉलेज की 25% से अधिक महिला एथलीटों को ये समस्या होती है लेकिन 90% से अधिक महिलाएं इस पर खुलकर बात नहीं करती हैं.
समस्या पर बात करने पर झिझक- ज्यादातर महिलाएं शर्म और झिझक की वजह से इस समस्या को लेकर डॉक्टर के पास नहीं जाती हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ब्लैडर लीकेज की समस्या बिल्कुल भी शर्मनाक नहीं हैं. यूरीनरी सिस्टम एक गुब्बारे की तरह होता है जो यूरीन को एक ट्यूब से जोड़कर रखता है. इसके जरिए ही यूरीन शरीर से बाहर आता है. पेल्विस के नीचे की आसपास मांसपेशियां और मूत्रमार्ग का वॉल्व, मूत्रमार्ग को बंद रखने और यूरीन को लीक करने से रोकता है.
क्यों होती है लीकेज की समस्या- अगर ब्लैडर में निचोड़ सा महसूस हो रहा हो तो यूरीनरी लीकेज हो सकती है. बहुत ज्यादा दबाव पड़ने पर भी यूरीन बाहर निकल जाता है. इसे यूरीन इनकंटीनेंस भी कहा जाता है. इनमें सबसे आम स्ट्रेस इनकॉन्टीनेंस होता है जिसमें मूत्रमार्ग यूरीन को लीकेज से नहीं रोक पाता है. अन्य प्रकार के इनकॉन्टीनेंस में ओवरफ्लो और फंक्शनल इनकॉन्टीनेंस भी आते हैं. इस समस्या की चिंता और शर्मिंदगी की वजह से कई महिलाएं अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण हिस्सों का लुत्फ नहीं उठा पाती हैं. इसके कुछ असामान्य कारणों में पेल्विक फ्लोर की कमजोर मांसपेशियां, वजन बढ़ना, सर्जरी, उम्र बढ़ना या डिलीवरी भी हैं.
सेलिब्रिटी भी इस समस्या से परेशान- अमेरिका की प्रसिद्ध टीवी पर्सनालिटी और लेखिका ब्रुक बर्क-चार्वेट का कहना है, ‘महिलाएं खुद को ऐसी स्थिति से बचाने की पूरी कोशिश करती हैं.’ हॉलिवुड एक्ट्रेस केट विंसलेट दो बार से अधिक छींक नहीं सकती हैं वरना उन्हें वॉशरूम की तरफ भागना पड़ता है. वहीं, केटी पेरी को हाई स्कूल में इस समस्या की वजह से हमेशा डायपर पहन कर रहना पड़ता था. 2005 में अमेरिकन सिंगर फर्गि एक लाइव कंसर्ट के दौरान स्टेज पर ही पैंट में टॉयलेट कर दिया था. उस समय इस घटना ने इंटरनेट पर सनसनी मचा दी थी. आखिरकार फर्गि ने स्वीकार किया कि उस समय उनकी बॉडी में कुछ असामान्य प्रतिक्रिया हुई थी.
क्या है इलाज- अमेरिका की प्रसिद्ध गाइनकॉलजिस्ट डॉक्टर जेसिका शेफर्ड का कहना है, ‘शर्म की वजह से महिलाएं इस समस्या को लेकर डॉक्टर के पास जाने से बचती हैं और इसका इलाज नहीं जान पाती हैं.’ डॉक्टर आपकी डाइट, दवाएं, आदतों और यूरीन चेक करके आपको सही ट्रीटमेंट देता है. UTI इंफ्केशन, डायबिटीज और कब्ज की वजह से भी ये दिक्कत आती है. इसलिए इन बीमारियों का भी इलाज कराना जरूरी है. अल्कोहल, कैफीन, शुगर वाले ड्रिंक्स या कार्बोनेटेड ड्रिंक, बहुत मीठा और मसालेदार खाना भी इस दिक्कत को बढ़ाता है.
स्मोकिंग या फिर ब्लड प्रेशर की कुछ दवाएं भी रिस्क फैक्टर हैं. डाइट या फिर दवाओं में बदलाव करके इस समस्या से बचा जा सकता है. पेट और पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने से पेशाब को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने में मदद मिलती है. कीगल एक्सरसाइज और पेल्विक मांसपेशियों को 10 सेकेंड तक सिकोड़ कर रिलैक्स करने से भी इस समस्या से निजात पाई जा सकती है.
एक्सरसाइज है फायदेमंद- एक्सरसाइज करने से वजन कम होता है और लीकेज की समस्या नहीं होती है. जर्नल ऑफ यूरोलॉजी में छपी एक स्टडी से पता चला है कि वजन घटाने से 12 महीने में स्ट्रेस इनकॉन्टीनेंस कम हो जाता है वहीं 18 महीने में ये समस्या पूरी तरह खत्म हो जाती है. मोटापा ब्लैडर लीकेज के एक मुख्य कारण बन सकता है. इसके अलावा डॉक्टर्स एस्ट्रोजन हार्मोन को मूत्रमार्ग और वजाइने के आसपास फिर से एक्टिव करने का इलाज भी कर सकते हैं. ये पूरी तरह इस पर निर्भर करता है कि आपको किस तरह की लीकेज है. इसके अलावा ब्लैडर को रिलैक्स करने के लिए बोटोक्स इंजेक्शन दिया जा सकता है या फिर यूरेथरा यानी मूत्रमार्ग के आसपास सर्जरी भी कर सकते हैं.
इसके लिए पेसरी जैसा उपकरण भी है, जो एक अंगूठी की तरह होता है. इसे वजाइना के अंदर डालने से भी इस समस्या से निजात मिलती है. ये ब्लैडर को पकड़ कर रखती है, अचानक से होने वाली लीकेज से बचाती है. इसके अलावा पैड और कई तरह के ऐसे कपड़े भी आते हैं जो यूरीन को सोख लेते हैं और लीकेज होने से कपड़े गीले होने से बच जाते हैं.