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छत्तीसगढ़: 13 सालों से कंटीले तारों की कैद में गांव के 3 हजार लोग…नक्सली खौफ ऐसा…सिर्फ 12 घंटे मिलती है बाहर रहने की छूट है

जगदलपुर। सुकमा जिले में एक गांव है जगरगुंडा, जहां रोज शाम के 6 बजे गांव की शरहद पर ताला लगा दिया जाता है और अगले दिन सुबह 6 बजे खुलता है। गांव में बसे 3 हजार आदिवासियों को 12 घंटे जेल की तरह काटने पड़ते हैं।

नक्सल दहशत से भरे इस गांव में वे पिछले 13 साल से यही हाल है। छत्तीसगढ़ इस इलाके को नक्सली मूवमेंट के नाम से सबसे खौफ नाक इलाका माना जाता है दोरनापाल से जगरगुण्डा की ओर जाने वाले मार्ग में कदम-कदम पर मौत का खतरा रहता है, क्योंकि यहां की सड़कों पर सीमेंट और डामर कम, बारूद ज्यादा बिछा हुआ है।

इस जगह पर कुछ घ्ंाटे बिताकर लौटना, जिदगी की जंग जीतने से कमतर नहीं है। गांव के प्रमुख जोगा ने बताया कि इस इलाके में लगभग 3 हजार लोग बंदियों की तरह गुजर बसर कर रहे हैं। उन्हें आजादी मिलती तो है, लेकिन सिर्फ 12 घंटों की।



सुबह 6 बजे यहां का ताला खुलता है और शाम 6 बजे ही बंद हो जाता है। इसके बाद बाहर जाने वाला अपनी जिन्दगी का रखवाला खुद ही होता है। दरअसल, यह पूरा गांव ही पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षा बल के कैंप में तब्दील हो चुका है।

बरसात के पहले राशन का काफिला एक हजार पुलिस जवानों की सुरक्षा के बीच यहां पहुंचाया जाता है, जो बारिश के वक्त खत्म हो जाता है, फिर गंाव के लोग जैसे तैसे राशन की व्यवस्था करते हैं। पिछले 13 साल से अत्याधुनिक हथियारों से लैस जवान इस गंाव और यहां निवासरत लोगों की सुरक्षा कर रहे हैं।
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दोरनापाल से जगरगुण्डा लगभग 60 किलो मीटर दूर है, जिले का यह मार्ग कई नक्सली घटनाओं का कीर्तिमान स्थापित कर चुका है। सबसे ज्यादा नक्सली हमले और लैड माईंस विस्फोट भी इसी मार्ग पर हुए हैं।

यह एक गांव 5-6 गांवों की आजादी समेटे हुए है। करीब 13 साल पहले जब बस्तर में शांति स्थापित करने सलवा जुडूम की शुरूवात हुई थी, तब जगरगुण्डा को सबसे सुरक्षित मानकर यहां 5-6 गांवों के लोगों को बसाया गया था।

जुडूम अभियान में शामिल इन गांवों के लोगों को झोपड़ी में बसाया गया, जो आज भी वैसे ही हंै। एक झोपड़ी में 5 से 6 लोग जीवन बसर कर रहे हैं। यहां हर रविवार को बाजार भी लगता है।



मूलत: जगरगुंडा में रहने वाले लोग यहां खेती बाड़ी कर गुजर-बसर करते हैं। वैसे तो खाने की व्यवस्था सरकार हर महीने कर देती है। राशन की सभी चीजें यहां के लोगों को वितरित की जाती है।

जगरगुण्डा में केन्द्रीय अध्र्द सैनिक बलों की एक कंपनी, लगभग 50 जवानों के साथ कांटेदार तार के मध्य तैनात है। सुकमा जिला कलनेक्टर चंदन कश्यप ने बताया कि हाल ही में उन्होंने जगरगुण्डा गांव का दौरा किया और लोगों से चर्चा की। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस घेरे को समाप्त किया जायेगा और इस इलाके में विकास कार्य शुरू किये जायेंगे।

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