कवर्धा। आप ने यह नहीं सुना होगा कि अच्छा फसल उत्पादन करना किसानों के लिए मुसीबत बन गया हो। लेकिन यह सत्य है। कवर्धा जिले के गन्ना उत्पादक किसान इन दिनों अधिक गन्ना उत्पादन होने से परेशान हैं। शक्कर कारखाने से पर्ची नहीं मिलने के कारण हजारों एकड़ में गन्ने की फसल सूख रही है। इस वजह से किसान खुद ही गन्ने को आग के हवाले कर रहे हैं।
कबीरधाम जिले में दो सहकारी शक्कर कारखाना होने के बाद भी किसानों की समस्या दूर नहीं हो रही है। गन्ना बिक्री के लिए कारखानों से क्रमवार पर्ची जारी की जाती है, लेकिन अधिक रकबा में गन्ना होने के कारण बिक्री करने में परेशानी हो रही है।
अब किसान खुद के गन्ना खेतों को आग के हवाले कर रहे हैं। इसके पीछे वजह यह है कि आग लगने के बाद जले हुए फसल का आकलन कर 10 से 20 प्रतिशत वजन कम करके कारखाना जल्द ही इसकी खरीदी कर लेता है। गन्ना सूख जाएगा उससे अच्छा है कि कम ही पैसे में बिक्री हो जाए। जिले में अब तक 90 से अधिक गन्ना खेतों में आगजनी की घटना हो चुकी है।
भोरमदेव कारखाना में 4.50 लाख मीट्रिक टन गन्ना की खरीदी व पेराई होगी। अब तक 3 लाख 59 हजार मीट्रिक टन की खरीदी हो चुकी है। यहां अब तक 800 ट्रॉली जले हुए गन्ने की भी बिक्री हो चुकी है।
वहीं सरदार वल्लभ भाई पटेल शक्कर कारखाने में अब तक 3 लाख 13 हजार मीट्रिक टन गन्ने की खरीदी हुई है। यहां पर भी बड़ी संख्या में जले हुए गन्ने की बिक्री हुई है। तहसीलदार पंचनामा बनाते हैं और किसान कारखाना में आवेदन करते हैं, जिसके बाद जले हुए गन्ने की खरीदी होती है।
कृषि विभाग के अनुसार जिले के 21 हजार हेक्टेयर में गन्ने का रकबा है। इससे 21 लाख मीट्रिक टन गन्ना उत्पादन का अनुमान है। जिले के दोनों शक्कर कारखाना में 8.50 लाख मीट्रिक टन ही गन्ना खरीदा जाना है। करीब 8 लाख मीट्रिक टन गन्ना गुड़ फैक्ट्री में बेचा जा चुका है। इसके बावजूद खेतों में लगभग 5 लाख मीट्रिक गन्ना मौजूद है।
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