अब Alto, Wagon R को पसंद नहीं कर रहे लोग, सब इन कारों पर पैसा लुटाने को तैयार!

समय के साथ बदलाव होते रहते हैं. लोगों की सोच भी बदलती रहती है. कार खरीदने को लेकर भारत में लोगों की सोच बदल रही है. भारत को प्राइस सेंसेटिव मार्केट की तरह देखा जाता रहा है लेकिन अब लोग कार की कीमत से ज्यादा उसके एहसास और फील को तरजीह दे रहे हैं. इसीलिए, लोग कार खरीदने के लिए ज्यादा पैसा भी चुकाने को तैयार हैं. यानी, अब लोग सस्ती कारों के मुकाबले थोड़ी महंगी कारों को खरीदना पसंद करने लगे हैं. डेलॉयट की एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है. इसके अनुसार, ‘ज्यादातर लोग 10 से 25 लाख रुपये तक की कीमत वाली गाड़ियां देख रहे हैं.’ यानी, एंट्री लेवल सस्ती कारों जैसे- ऑल्टो, वैगन आर आदि के मुकाबले अब लोग कुछ महंगी कार खरीदना चाहते हैं.
डेलॉयट की 2023 वैश्विक वाहन उपभोक्ता अध्ययन (जीएसीएस) की रिपोर्ट में कहा गया कि अब लोग कीमत से ज्यादा एहसास को तरजीह दे रहे हैं, जो साफ तौर पर कार खरीद के उनके रुझान में बदलाव का संकेत है. ज्यादातर लोगों को तो बेहतर फील वाली और पसंदीदा कार खरीदने के लिए 4 सप्ताह से 12 सप्ताह तक का इंतजार करने से भी कोई परेशानी नहीं है. बता दें कि भारत में यह अध्ययन बीते साल 21 से 29 सितंबर तक हुआ था, जिसमें 1,003 उपभोक्ताओं से सवाल पूछे गए थे.
अध्ययन से पता चला कि लगभग 47 प्रतिशत प्रतिभागियों ने 10 से 25 लाख रुपये की कीमत वाली कारें खरीदने की इच्छा जताई. इसके अनुसार, ‘सिर्फ 28 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने 10 लाख या इससे कम कीमत वाली कार खरीदने की इच्छा जताई. लगभग 57 प्रतिशत प्रतिभागियों ने 10-25 लाख रुपये तक के इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने जबकि 20 प्रतिशत ने 10 लाख रुपये से कम कीमत के इलेक्ट्रिक वाहन को खरीदने की इच्छा जताई.’
रिपोर्ट में कहा गया, ‘इससे भारतीय उपभोक्ताओं के वाहन खरीदने के रुझान में स्पष्ट बदलाव दिखाई दिया. इससे पता चलता है कि एक औसत उपभोक्ता कीमत के मुकाबले अब फील (वाहन से जुड़े एहसास) को तरजीह दे रहा है. वहीं, पारंपरिक भारतीय उपभोक्ता कीमतों को ध्यान में रखता है और कीमत बनाम माइलेज की तुलना वाहन खरीदते समय सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है.’