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अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले मेडिकल उपकरण पूरी तरह से बैक्टीरिया-फ्री हैं या नहीं?…केकड़े के खून की मदद से ये जांचने में होती है आसानी…

मुंबई। गहरे खारे पानी में रहने वाले जीव हॉर्स शू क्रेब मेडिकल फील्ड के लिए वरदान माना जाता है। इस केकड़े के खून की मदद से ये जांचने में आसानी होती है कि अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले मेडिकल उपकरण पूरी तरह से बैक्टीरिया-फ्री हैं या नहीं।

समुद्र की रेतीली खोहों में रहने वाला ये केकड़ा दुनिया के कुछ सबसे पुराने जीवों में से है। माना जाता है कि ये धरती पर डायनासोर से भी पहले से हैं। 2019 में हुए एक मॉलिक्युलर एनालिसिस में पाया गया कि ये केकड़े इस ग्रह पर 45 करोड़ सालों से भी ज्यादा समय से हैं।



यही वजह है कि इन्हें लिविंग फॉसिल्स की श्रेणी में रखा गया। यानी वे जीव, जिनके भीतर ऐसी खूबियां हैं जो सिर्फ फॉसिल हो चुके जंतुओं के रिकॉर्ड में मिलती हैं। विपरीत हालातों के बावजूद करोड़ों साल से सर्वाइव कर रहे हॉर्स शू में कई खासियतें हैं जैसे इसका खून नीले रंग का होता है।

हमारे या लगभग सभी स्तनधारियों के खून का रंग लाल हैं क्योंकि इसमें आयरन वाला हीमोग्लोबिन होता है जो ऑक्सीजन को यहां से वहां लाता-ले जाता है।
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वहीं इस अनोखे जीव में आयरन की बजाए कॉपर यानी तांबे के साथ नामक केमिकल होता है जो हीमोग्लोबिन की तरह काम करता है। इसी की उपस्थिति के कारण केकड़े का खून नीला होता है। लेकिन खून के नीले होने के कारण ये कीमती नहीं, बल्कि इसकी वजह है खून में मौजूद रोग प्रतिरोधक कोशिकाएं।

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