रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार पूर्व की रमन सरकार के एक और फैसले को पलटने की तैयारी कर रही है। खबर है कि भूपेश सरकार ने 10 साल पहले बोर्ड को खत्म करते हुए बनाई गई पांच में से दो कंपनियों को बंद कर तीन कंपनी से ही राज्य में बिजली का कारोबार करने का सैद्धांतिक निर्णय ले लिया है।
होल्डिंग कंपनी ने इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया है। इस पर जल्द मुहर लगने के भी संकेत हैं। सरकार ने यह फैसला अनावश्यक खर्च कम करने के लिए किया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार के इस फैसले पर चुनाव आचार संहिता का असर नहीं होगा। क्योंकि ये कंपनियां सरकार का विभाग नहीं हैं। इनका गठन और संचालन कंपनी एक्ट के तहत होता है। इसलिए सरकार मार्च में ही मर्जर की अनुमति देकर अप्रैल से तीन कंपनियों को अस्तित्व में ला सकती है। अब केवल औपचारिक घोषणा का इंतजार है।
बता दें कि पिछली बीजेपी सरकार ने विद्युत एक्ट 03 के तहत जनवरी-09 में राज्य बिजली बोर्ड को विघटित करते हुए पांच कंपनियों का गठन किया था। इसका पूरे प्रदेश में अब तक विरोध हो रहा है। बोर्ड के अमले के साथ राजनीतिक दल भी इसका विरोध करते हुए दो कंपनियों के गठन की मांग करते रहे हैं।
आम लोगों की भावना को कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र में शामिल करते हुए कंपनियों को नया स्वरुप देने का वादा किया था। इसके मुताबिक ही होल्डिंग कंपनी ने एक माह के अल्पसमय में सरकार को अपनी सिफारिश भेज दी है।
सूत्रों के अनुसार होल्डिंग कंपनी ने 5 में से 2 को भंग करने की तैयारी कर ली है। इनमें से होल्डिंग और ट्रेडिंग कंपनी को भंघ किया जा रहा है। इनकी संपत्ति और अमले को तीन कंपनियों में मर्ज किया जाएगा। ट्रेडिंग को डिस्ट्रीब्यूशन में और होल्डिंग को तीनों ही कंपनियों में मर्जर का प्रस्ताव है। यानि अब जनरेशन ,ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ही रहेंगी।
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