कोंडागांव। जिला के नेशनल हाईवे 30 पर स्थित चिखलपुटी में जिला अस्पताल परिसर के संचालन को 1 साल पूरा हो चुका है, वहीं जिला गठन को लगभग 6 वर्ष पूरे होने वाले है। इन 6 वर्षों में अब तक प्रशासन एक भी स्थाई एनेस्थेटिक डॉक्टर नियुक्त नहीं कर पाई है।
वहीं संविदा पर भी एनेस्थेटिक डॉक्टर की अब तक नियुक्ति नहीं होने है। ऐसे में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बता दे, जिला प्रशासन आरएनटी अस्पताल के लिए लगभग सारे विभागों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति कर दी है, फिर भी एनेस्थेटिक डॉक्टर के नहीं होने से सीजर ऑपरेशन या ऑपरेशन से प्रसव करवाने के लिए मरीजों को रेफर किया जा रहा है। जबकि जिला अस्पताल आरएनटी में सुसज्जित ओटी और विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ति हो चुकी है।
जानकारी अनुसार, कोंडागांव के चिखलपुटी में 100 बिस्तरों का मातृत्व शिशु अस्पताल का संचालन हो रहा है। इसी के पास 100 बिस्तर वाला जिला अस्पताल आरएनटी का भी यहां संचालन होता है। या यू कह ले कि दोनों अस्पतालों का एक साथ संचालन किया जाता है। यदि बात मातृत्व शिशु अस्पताल की करे तो, यहां प्रतिदिन प्रसव पीडि़त महिलाओं को भर्ती किया जाता है।
प्रसव पीडि़त महिलाओं में अक्सर ऐसे मामले निकल कर सामने आते हैं जिन्हें सामान्य प्रसव करवाना संभव नहीं हो पाता और उसके लिए ऑपरेशन करना अनिवार्य हो जाता है। इसे विडंबना ही कहे कि, जिला में प्रशिक्षित योग्य गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर होने के बाद भी ऑपरेशन नहीं हो पाता। ऐसा नहीं कि, इस अस्पताल में ओटी की व्यवस्था नहीं है।
ओटी और गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर होने के बाद भी एनेस्थेटिक डॉक्टर नहीं होने से गंभीर गर्भवतियों को रिफर कर दिया जाता है। मातृत्व शिशु अस्पताल के अलावा जिला अस्पताल आरएनटी का भी कुछ ऐसा ही हाल है। यहां शैल्य चिकित्सा, नेत्र चिकित्सक व अन्य विषय के विशेषज्ञ डॉक्टर नियुक्त है। लेकिन यहां भी सारे डॉक्टरों को एनेस्थेटिक डॉक्टर की कमी महसूस होती रहती है।
यदि आंकड़ों की बात करें तो हर 2 दूसरे दिन एक महिला को जिला अस्पताल से सिजेरियन डिलीवरी के लिए रेफर किया जाता है। जबकि जिला अस्पताल आरएनटी में गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर की नियुक्ति हो चुकी है। नए अस्पताल शुभारंभ के दौरान यहां सुसज्जित ऑपरेशन थिएटर स्थापित किया गया। सुसज्जित होने के बाद भी यहां अब तक एक भी ऑपरेशन नहीं हुआ है।
ऐसा ही हाल जिला अस्पताल आरएनटी का है, यहां भी कोई गंभीर सिजेरियन मामला को मजबूरी वस रिफर करना पड़ता है और मरिजों को इलाज के लिए जिला से बाहर रायपुर या अन्य हायर सेंटर जाना पड़ता है। जिला अस्पताल से मिले जानकारी अनुसार, बीते साल 2018 में जनवरी से दिसंबर तक कुल 259 गर्भवतियों को गंभीर अवस्था में रिफर किया गया है।
आकड़ों के अनुसार जनवरी में 21, फरवरी में 9, मार्च में 17, अप्रैल में 17, मई में 15, जून में 24, जुलाई में 30, अगस्त में 15, सितंबर में 18, अक्टूबर में 24, नवंबर में 25 और दिसंबर माह में 34 गर्भवतियों को रिफर किया गया। यदि गर्भवती मामलों को छोड़ दे तो संख्या हजार के आकड़े को पार कर देगा।
एनेस्थेटिक डॉक्टर या निश्चेतना चिक्तिसक की कमी से जुझ रहे मामले पर कोण्डागांव जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर नीलकंठ टीकाम ने बताया कि, जिला प्रशासन की ओर से हर संभव संभव प्रयास किया जा रहा है ताकि एनेस्थेटिक डॉक्टर की भर्ती हो सके। इसके लिए शासन स्तर पर मांग भी किया गया है, इतना ही नहीं कॉन्ट्रैक्ट बेस पर ओपन ऑफर रखा गया है, यदि कोई एनेस्थेटिक डॉक्टर जिला में ज्वाईनिंग करते है तो खनिज निधी से जीतना चाहे मासिक दर दिया जाएगा।
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