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छत्तीसगढ़: बस्तर के प्राकृतिक सौंदर्यों में शुमार होगा एक और जल प्रपात…कलेक्टर ने किया निरीक्षण…पर्यटन नगरी बनाने के दिए निर्देश

कोण्डागांव। बस्तर प्राकृतिक सौंदर्यों से भरा पड़ा है। नक्सली घटनाओं के लिए ही नहीं इसे अपनी खूबसुरती के लिए भी जाना और पहचाना जाता है। बस्तर के अंदरूणी क्षेत्रों में अभी भी ऐसे कई प्राकृतिक सौंदर्य जगह है जिसे लोग नहीं जानते। वह अब भी दुनिया जहान की नजरों से ओझल है। इसका मुख्य कारण सड़कों का नहीं होना और नक्सली दहशत है।

कुछ ऐसे ही प्राकृतिक सौंदर्य से भरापूरा है बस्तर संभाग अंतर्गत कोण्डागांव जिले की घनी वादियों में छुपा मुकतेकड़का पहाड़। इस प्राकृतिकवादी की जानकारी लगते ही कोण्डागांव कलेक्टर नीलकंठ टीकाम इस उद्गम स्थल के निरीक्षण के लिए पहुंचे।

साथ में अंतागढ़ पूर्व विधायक भोजराज नाग, जिला पंचायत अध्यक्ष देवचंद मातलाम, सदस्य लद्दू उईके, आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त जीएस सोरी, एसडीएम धनंजय नेताम, जनपद पंचायत सीईओ भुनेश्वर सिंह राज, वरिष्ठ पत्रकार शंभू यादव, प्रकाश नाग आदि भी थे। यहां पहुंच उन्होंने क्षेत्र के विकास व पर्यटन के लिए पहाड़ी विकसित करने का सुझाव मांगा है।

जिले के विकास खण्ड केशकाल अंतर्गत धनोरा, इरागांव, कुएंमारी ऐसे गांव रहे जहां नक्सलियों का एकछत्र राज हुआ करता था। समय के साथ लगातार सुरक्षा जवानों के दबाव और विकास कार्यों के चलते नक्सलियों का यहां जनाधार धीरे-धीरे कम हो रहा है।



नक्सल भय कम होने से इसी क्षेत्र के वर्षों से नजरों से ओझल रहे प्राकृतिक सौदर्य भी सामने आने लगे हैं। इसी में से एक है, त्रिसंग पहाड़ मुकतेकड़का पहाड़, इस पहाड़ को त्रिसंग की संज्ञा इस लिए दिया जा रहा है क्याकि इसके नीचे एक पंचायत तो उपर दूसरा पंचायत है तो वहीं इसके पास तीसरा ग्राम पंचायत भी बसा हुआ है।

मुकतेकड़का पहाड़ ग्राम पंचायत कुएमारी अंतर्गत मारागांव में शामिल है, जो विकास खण्ड केशकाल का ही हिस्सा है। वहीं इस पहाड़ के ठीक नीचे ग्राम पंचायत तुमसनार का आश्रित ग्राम राजपुर बसा है। अब यदि यहां के मनोरम दृष्य की बात करे तो, यहां लगभग 40 से 50 फिट उचाई से पानी का झरना गिरता है, जो सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अपने आप में एक वजह है।

तीन नदियों का उदगम है मुकतेकड़का
पंचायतों के संगम का यहां पहाड़ केवल पंचायतों की सीमा से ही नहीं बल्कि नदियों के लिए भी अहम है। बता दे, मुकतेकड़का पहाड़ से कोण्डागांव को 2 हिस्सों में बाटने वाले बारदा नदी का उदगम होता है।



इनता ही नहीं इसी नदी से बस्तर संभाग के उत्तर को मुख्य रूप से सिंचित करने वाले दुधनदी का भी उदगम होता है, दुधनदी के ही तट पर कांकेर बसा हुआ है। वहीं बारदा नदी कोण्डागांव की सबसे लंबी और गहरी नदी है जहां पूरे साल पानी होता है, यह बस्तर की सबसे प्रमुख नदी नंद्रवती की प्रमुख सहायक नदी भी है।

मैदान इतना सपाट की मानो कोई हवाई पट्टी हो
मुकतेकड़का पहाड़ की एक और खासियत है, इस पहाड़ के उपर का हिस्सा चोटिला या नुकिला नहीं है। यह पूरी तरह से पठार क्षेत्र है। धरना स्थल का उद्गम स्थल 70 एकड़ के मैदान में फैला है, जहां ऊंचे स्थल पर हवाई अड्डा जैसा बड़ा खेल मैदान प्राकृतिक रूप से विराजमान है। इसी हवाई अड्डा जैसे मैदान से बारदा नदी मुकतेकड़का पहाड़ से लगभग 40 से 50 फिट नीचे गिरता है।

इस उद्गम स्थल पर गिरने वाले झरना जलप्रपात के संबंध में स्थानीय कलेक्टर नीलकंठ टीकाम को जैसे ही जानकारी लगी वे यहां उची चढ़ाई करके निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान कलेक्टर ने बताया, दूर दूर से यहां पर्यटक आकर्षित होकर आएंगे, यहां सुंदर अद्भुत प्राकृतिक की सौगात है।



जल्द बनेगा सड़क
कलेक्टर नीलकंठ टीकाम व अधिकारियों का दल यहां पहुंच प्रभावित हुआ। कलेक्टर ने कोण्डागांव के अधिकारियों को कुएमारी से मुकतेकड़का पहाड़ तक सड़क बनवाने के लिए प्रोजेक्ट बनाने का निर्देश दिया है।

साथ ही उन्होने अंतागढ़ विकास खण्ड के पंचायत प्रतिनिधियों से सड़क निर्माण के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने की बात कही है, ताकि दोनों जिला कांकेर और कोण्डागांव में एक साथ मुकतेकड़का पहाड़ तक पहुंचने के लिए सुगम मार्ग बन सके, जिसका सीधा लाभ पर्यटन क्षेत्र को हो।

कैंसे पहुंचे मुकतेकड़का पहाड़
कोण्डागांव से मुकतेकड़का पहाड़ पहुंचने के लिए दो मार्ग प्रमुख है। इसमें से एक केशकाल के पास नेशनल हाईवे 30 के बेड़मा से धनोरा 12 किमी, धनोरा से ईरागांव होते हुए आमाबेड़ा, यहां से चिखली, फिर तुमुसनार, बलैंडी पहुंचते है। बलैंडी से ही 5 किमी पर मुकतेकड़का का पहाड़। इसी तरह केशकाल से 3 किमी बटराली, बटराली से 18 किमी कुएंमारी, कुएंमारी से 6 किमी मुकतेकड़का पहाड़ का झरना है।

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