रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अब सत्ता पर काबिज हो चुकी है। 68 सीटों के साथ पार्टी ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की है। पहले मुख्यमंत्री को लेकर मशक्कत देखने को मिली और अब मंत्रीमंडल को लेकर कशमकश जारी है। सीएम भूपेश बघेल गुरुवार शाम दिल्ली मंत्रियों की सूची को अंतिम रुप देने के लिए रवाना हुए है।
वहां वे राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से चर्चा के बाद मंत्रीमंडल को अंतिम रुप देंगे। रवाना होने से पहले सीएम ने कहा कि अभी किसी प्रकार की सूची तैयार नहीं हुई है दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष से विचार-विमर्श के बाद नामों को अंतिम रुप दिया जाएगा।
हालांकि लिस्ट को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन कुछ नाम तो पक्के है, जिनका मंत्रीमंडल में लिया जाना लगभग तय माना जा रहा है। पुराने चेहरों के अलावा नए चेहरे भी शामिल है। पार्टी के लिए कैबिनेट को स्वरुप देना कड़ी मशक्कत भरा हो सकता है, क्योंकि 2019 में लोकसभा चुनाव है, इसलिए सभी को संतुष्ट करना और जातिगत समीकरण को भी ध्यान में रखना जरुरी है।
सीएम भूपेश के अलावा ताम्रध्वज साहू और टीएस सिंहदेव कैबिनेट मंत्री की शपथ ले चुके हैं यानी केवल 10 के लिए ही जगह शेष है। मंत्रीमंडल को लेकर गुणाभाग में सीएम भूपेश बघेल लगे हुए है। यहां पर ऐसी भी चर्चा है कि धनेन्द्र साहू को पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा सकता है।
वहीं रामपुकार सिंह को डिप्टी स्पीकर की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इसी तरह जो वरिष्ठ विधायक कैबिनेट में शामिल नहीं हो पाएंगे उन्हें निगम, आयोग और मंडलों में जगह दी जाएगी। मंत्रीमंडल की अरुण वोरा, खेलसाय सिंह भी दौड़ में शामिल है। आइए जानते हैं कि कौन-कौन हो सकता है मंत्री…
चरणदास मंहत, पूर्व केंद्रीय मंत्री के रूप में प्रशासनिक अनुभव है। उनको विधानसभा चुनाव 2018 में चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया था। श्री महंत अविभाजित मध्यप्रदेश में गृहमंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। दिल्ली में जिन चार नेताओं को सीएम का नाम तय करने के लिए बुलाया गया था उसमें महंत भी शामिल थे। ऐसी भी चर्चा है कि श्री महंत को विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो एक और को जगह मिल सकती है।
सत्यनारायण शर्मा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में इनकी गिनती होती है। कई बार से विधानसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जोगी शासन काल में स्कूली शिक्षा मंत्री थे। एमपी के समय भी मंत्रीपद संभाल चुके हैं। अनुभाव के आधार पर इनकी दावेदारी भी मजबूत हैं।
रविन्द्र चौबे, लगातार कई चुनाव जीतने के बाद 2013 में इन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार भी साजा से विधायक रविन्द्र चौबे काफी वरिष्ठ है। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहने का अनुभव है। जनसंपर्क, पीडब्लूडी जैसे महत्वपूर्ण विभागों को संभाल चुके हैं।
मोहम्मद अकबर, इन्होंने पूर्व सीएम रमन सिंह के गृह जिले से जीत हासिल की है और सबसे ज्यादा वोटों से जीतकर रिकार्ड भी अपने नाम किया है। पार्टी का बड़ा अल्पसंख्यक चेहरा माने जाते हैं। इसके साथ ही यह जोगी शासन में मंत्री भी रह चुके हैं। मो. अकबर को प्रशासनिक कार्यो की अच्छी जानकारी है, इसलिए इनका भी दावा काफी मजबूत है।
अमितेष शुक्ल, श्यामाचरण और वीसी शुक्ला परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजिम विधायक श्री शुक्ल, दूसरे सबसे ज्यादा अंतर से जीतने वाले विधायक है। राज्य की पहली सरकार में मंत्री की रह चुके हैं। इनके भी मंत्री बनने की पूरी संभावना है। श्री शुक्ल के दिल्ली में अच्छे संबंध है।
कवासी लखमा, चौथी बार विधायक लगातार विधानसभा पहुंचे कवासी लखमा का भी मंत्री बनना तय माना जा रहा है। पार्टी का बड़ा आदिवासी चेहरा है। घोर नक्सल प्रभावित इलाके कोंटा से आते हैं। सदन में भी इनकी छवि आक्रमक होती है।
शिव डहरिया, पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और सतनामी समाज से आने वाले आरंग विधायक को भी मंत्री बनाया जा सकता है। मंत्रीमंडल में जातिगत समीकरण को समाहित करने की बात अगर होगी तो इनका मंत्री पद पक्का है।
अमरजीत भगत, सरगुजा संभाग से ओ वाले ये विधायक आदिवासी में अच्छी पकड़ रखते हैं। इनकी भी छवि तेजतर्रार नेता हैं। इस बार पार्टी ने सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों पर अपना कब्जा जमाया है। जिसमें इनकी भी भूमिका महत्वपूर्ण रही है, आदिवासी राज्य में मंत्रीमंडल में आदिवासी को जगह देने की बात आई तो ये भी मंत्री बनाए जा सकते हैं।
उमेश पटेल, नंदकुमार पटेल के बेटे है। इसके अलावा दूसरी बार खरसिया से विधायक चुने गए है। युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष भी है। इन्होंने कलेक्टर ओपी चौधरी को हराकर सीट पर कब्जा जमाया है। यह पार्टी के युवा चेहरे हैं, इसलिए इनकी दावेदारी काफी मजबूत है।
अनिला भेडिय़ा, डौंडीलोहारा से विधायक है और महिला कोटे से इनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। मंत्रीमंडल में किसी महिला को मंत्री बनाना ही है ऐसे में इन्हें मौका मिल सकता है।
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