16 दिसंबर से खरमास शुरू हो जाएगा। सनातन धर्मावलंबियों के लिए खास महत्व रखने वाले खरमास के शुरू होने के साथ ही सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे- मांगलिक कार्य, खरीदारी, पूजा-पाठ जैसे तमाम कार्यों पर विराम लग जायेगा। करीब एक महीने तक रहने वाले खरमास का अंत अगले साल जनवरी में होगा। 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही सूर्य उत्तरायण हो जाएंगे और शुभ मांगलिक समेत सभी शुभ कार्य फिर से शुरू हों जाएंगे।
नर्क में जाता है खरमास में मरने वाला
मान्यताओं के मुताबिक खरमास में प्राण त्याग वाला इंसान नर्क में जाता है। इस बात का उदाहरण महाभारत में भी मिला है। महाभारत में भीष्म पितामह खरमास की वजह से ही प्राण नहीं त्यागते हैं, वे शर शैय्या पर ही लेटे रहते हैं। लेकिन जैसे ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाते हैं, वैसे ही भीष्म पितामह भी अपने प्राण त्याग देते हैं।
खरमास में क्या न करें
खरमास में किसी भी प्रकार का कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस मास शादी-विवाह, ग्रह-प्रवेश, पूजा-पाठ, खरीदारी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा खरमास में घर का निर्माण कार्य भी नहीं करना चाहिए। इतना ही नहीं इस दौरान निर्माण कार्य से जुड़ी चीज़ें भी नहीं खरीदनी चाहिए।
खरमास में क्या करें
खरमास को मलमास भी कहते हैं। खरमास के महीने में भगवान विष्णु की पूजा का खासा महत्व है। इस दौरान धार्मिक स्थलों पर स्नान करना और गरीबों को दान करने से काफी लाभ मिलता है। खरमास के दौरान एकादशी का व्रत रख भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्हें तुलसी वाली खीर का भोग लगाना चाहिए। कोशिश करें कि खरमास में प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में जाग जाएं और स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर केसर युक्त दूध से उनका अभिषेक करें।
शुद्ध तुलसी की माला से भगवान विष्णु का 11 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें। मान्यता अनुसार पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। इसलिए खरमास में पीपल की पूजा करना भी काफी लाभदायक है। काम-धंधे में उन्नति चाहते हैं तो खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन कराएं। ऐसा करने से आप पुण्य के भागीदार होंगे। खरमास के महीने में अपने अंदर से सभी प्रकार की बुरी आदतों, विचारों, कार्यों को बंद कर सत्कर्म करें।
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