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ब्रिटेन में कोरोना का नया वायरस ‘आउट ऑफ कंट्रोल’… जानें क्या बोले एक्सपर्ट्स…

नोवेल कोरोना वायरस में व्यापक तौर पर रिपोर्ट किए गए उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी भी इस म्यूटेशन के प्रभावों का जहां तक सवाल है तो अब भी बहुत कुछ अज्ञात है. नई लाइनेज जिसे B.1.1.7 का कोडनेम दिया गया है, उसे ब्रिटेन में हाल के केसों में व्यापक रूप से ट्रैक किया गया है. ब्रिटेन में रिपोर्ट किए गए म्यूटेशन पर अग्रणी विशेषज्ञों का क्या कहना है, उसका सार यहां जाना जा सकता है.

क्या वायरस में उत्परिवर्तन असामान्य है?
लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल वायरोलॉजिस्ट डॉ जूलियन टैंग का कहना है, “यह वायरस के लिए काफी सामान्य है – जैसे इन्फ्लूएंजा – जहां विभिन्न वायरस एक ही व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं, जिससे हाइब्रिड वायरस उभर सकता है.



यह केवल उन तरीकों में से एक है, जो प्राकृतिक वायरल विभिन्नता उत्पन्न करते हैं.” हालांकि वायरस के व्यवहार में कोई भी परिवर्तन किसी भी वायरस में प्रकृति और उत्परिवर्तन की सीमा पर निर्भर करता है, जिसमें Covid-19 भी शामिल है.

लीवरपूल यूनिवर्सिटी के इन्फेक्शन एंड ग्लोबल हेल्थ के चेयर प्रो. जूलियन हिसकॉक्स ने कहा, “कोरोना वायरस हर समय उत्परिवर्तित होते हैं इसलिए यह अप्रत्याशित नहीं है कि SARS-CoV-2 के नए वैरिएंट्स उभर रहे हैं, हम हर समय अन्य मानव और पशु कोरोना वायरस में इन्हें देखते हैं.”

B.1.1.7 अहम क्यों है?
वुहान, चीन में पहली बार सामने आने के बाद से, SARS-CoV-2 ने कई बदलाव देखे हैं और उनमें से प्रत्येक पहले के वेरिएंट्स से कुछ कदम की नजदीकी पर बने हुए हैं.

लेकिन यूके वैरिएंट B.1.1.7 के शुरुआती जीनोमिक लक्षणों के मुताबिक इसमें असमान्य तौर पर कई बड़े जेनेटिक बदलाव देखे गए हैं, खास तौर पर स्पाइक प्रोटीन में, जो अक्सर इस बात के लिए जिम्मेदार होता है कि वायरस मानव कोशिका के साथ कैसे संपर्क करता है.

इस घटनाक्रम ने यूके के साथ-साथ और जगह भी अलार्म सेट किया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह विशेष रूप लाइनेज यूके के कुछ हिस्सों में केसों के बढ़ते अनुपात के लिए जिम्मेदार है.

लिंक किए गए केसों की संख्या के साथ-साथ B.1.1.7 संक्रमण को रिपोर्ट करने वाले क्षेत्रों की संख्या भी बढ़ रही है. इसने कई देशों को यूके यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर किया है. भारत सरकार भी इस सबंध में विशेषज्ञ सलाह ले रही है.

यूके के वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट में SARS-CoV-2 जेनेटिक्स इनिशिएटिव के निदेशक डॉ जेफरी बैरेट ने कहा, “नए वैरीएंट में एक उत्परिवर्तन वायरल जीनोम से छह बेसेस को मिटा देता है जो स्पाइक प्रोटीन के अमीनो एसिड 69 और 70 को एनकोड करते हैं.



संयोग से, यह क्षेत्र कुछ PCR टेस्ट्स की ओर से उपयोग किए जाने वाले तीन जीनोमिक टारगेट्स में से एक है, और इसलिए उन टेस्ट्स में ये चैनल नए वैरीएंट पर नेगेटिव आता है.”

हालांकि, अगर PCR टेस्ट्स अन्य दो चैनलों का उपयोग करते हैं, और उत्परिवर्तन से प्रभावित नहीं होते तो, टेस्ट को ठीक से काम करना चाहिए. डॉ बैरेट ने जोर देकर कहा, “मुझे वायरल जीनोम के इस हिस्से में केवल एक टारगेट का उपयोग करने वाले किसी भी कॉमर्शियल टेस्ट्स के बारे में पता नहीं है, लेकिन अगर ऐसा हो रहा है तो उनकी सावधानीपूर्वक जांच की जानी चाहिए.”



माइक्रोबायोलॉजी प्रोफेशनल कमेटी, एसोसिएशन फॉर क्लिनिकल बायोकैमिस्ट्री एंड लैबोरेटरी मेडिसिन के चेयर डॉ रॉबर्ट शॉर्टेन ने कहा, ने कहा: “प्रयोगशालाएं जानती हैं कि कौन से टेस्ट उनके टारगेट को लक्षित करते हैं और उनके टेस्ट प्रदर्शन को लेकर सतर्क हैं, PCR टेस्ट्स आमतौर पर एक से अधिक जीन टारगेट का पता लगा सकते हैं ताकि स्पाइक प्रोटीन में एक उत्परिवर्तन अन्य वायरल जीन टारगेट्स का पता लगाए जाने को प्रभावित नहीं करेगा ”.

क्या नया वैरिएंट ज्यादा खतरनाक है?
ब्रिटेन के सरकारी अधिकारियों को संदेह है कि नया वैरिएंट वायरस के पहले के वैरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक हो सकता है. जबकि वैज्ञानिक अभी भी इसके लिए सटीक स्पष्टीकरण को समझने की कोशिश कर रहे हैं, उनमें से कुछ सरकार के तर्क से सहमत हैं.



ब्रिटिश सोसायटी फॉर इम्यूनोलॉजी के पूर्व अध्यक्ष प्रो पीटर ओपेनशॉ कहते हैं: “इसे गंभीरता से लेना सही है; यद्यपि 30,000 न्यूक्लियोटाइड्स के जेनेटिक कोड में केवल 23 उत्परिवर्तन होते हैं, वैरिएंट लगभग 40-70% अधिक ट्रांसमिसेबल लगता है.”

हालांकि, वह कहते हैं कि फिलहाल इस बात का कोई सबूत नहीं है कि नया वैरिएंट बीमारी का कारण बनता है जो कि पिछले वेरिएंट की वजह से अलग है. वारविक मेडिकल स्कूल के ऑनरी क्लिनिकल लेक्चरर डॉ. जेम्स गिल ने कहा: “हम अभी भी इस नए स्ट्रेन के बारे में और जानने के लिए इंतजार कर रहे हैं, और यहां इसकी महत्वपूर्ण जानकारी होनी चाहिए, यह अधिक संक्रामक प्रतीत होता है लेकिन हम यह नहीं जानते हैं कि यह क्या है? इसलिए मजबूत बंदिशें लागू करने में समझदारी है.”

क्या यह वैक्सीनेशन और उपचार को प्रभावित करेगा?
इस तथ्य के बावजूद कि वायरस में उत्परिवर्तन अहम प्रतीत होता है, विशेषज्ञों ने यह सुझाव देने के लिए कोई कारण नहीं पाया है कि नया उत्परिवर्तन अभी तक टीकाकरण को प्रभावित करेगा.

यूके सरकार के एडवाइजरी बॉडी, न्यू एंड इमर्जिंग रेस्पिरेटरी वायरस थ्रेट्स एडवाइजरी ग्रुप (NERVTAG) ने इस संबंध में एक पेपर भी निकाला है. NERVTAG पेपर के जवाब में डॉ टैंग ने कहा, “हम किसी भी बढ़ी क्लिनिकल गंभीरता या S (स्पाइक प्रोटीन) में कोई भी स्थूल परिवर्तन नहीं देख रहे हैं, जो वैक्सीन की प्रभावशीलता को कम करेगा.”

इस बात से वेलकम ट्रस्ट के निदेशक डॉ. जेरेमी फरार सहमत हैं, लेकिन एक चेतावनी जारी करते हैं, “फिलहाल, कोई संकेत नहीं है कि यह नया स्ट्रेन उपचार और वैक्सीन से बच जाएगा. हालांकि, उत्परिवर्तन वायरस की अनुकूलन शक्ति का एक रिमाइंडर है, और जिसे भविष्य में खारिज नहीं किया जा सकता है.”

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