आज भी पुराने ढर्रे पर जीवन गुजर-बसर करने को मजबूर है इस गांव के लोग…

चंद्रकांत पारगीर, बैकुंठपुर। विकासखंड सोनहत के वनांचल ग्राम सुक्तरा सेमरिया सहित अनेक गांवों में लंबे समय से शासन की योजनाएं सही ढंग से नहीं पहुंच पा रहीं है। आलम है की ग्रामीणों के नसीब में बिजली, सड़क और साफ पानी भी मयस्सर नहीं है। सेमरिया सुक्तरा एवं अन्य गांवों के पहुंच मार्ग जर्जर और बेहद खतरनाक हैं, हैंडपंप बिगडे हुए हैं, साथ ही बिजली की समस्या से ये गांव जूझ रहे हैं। सेमरिया के ग्रामीणों ने बताया कि कई बार शासन-प्रशासन को क्षेत्र में विकास कार्य कराने मांग की, लेकिन पिछले 15 सालों से स्थिति जस की तस है। किसी प्रकार का कोई विकास कार्य नहीं कराया गया है। सरकार हो या पंचायत प्रतिनिधि आए और गए, पर कुछ बदला नहीं। आज भी ये पुराने ढर्रे पर ही जीवन गुजर बसर करने को मजबूर हैं।
स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित
सोनहत तहसील मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर स्थित किमी दूरी पर स्थित ग्राम सेमरिया सुक्तरा में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। आलम यह है कि किसी तरह वैकल्पिक व्यवस्थाओं से ग्रामवासी अपना इलाज करा रहे हंै। इसके अतिरिक्त ग्राम कुर्थी एवं ललमटटा में भी हालात बदतर हो चुके है। कई स्थानों पर तो विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन चुनौतीपूर्ण है।
पगडंडी से होता है आवागमन
ग्राम सुक्तरा सेमरिया सलगवां ललमटटा रेवला के अंतर्गत आने वाले पहुंच मार्ग खस्ताहाल है, जिससे निकलने में ग्रामवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इन मार्गो में कई स्थानों पर पहुंच मार्ग में पुलिया का अभाव है जिससे आपातकालीन परिस्थितियों में भारी परेशानी होती है। वर्तमान समय में आने जाने वाले लोग इन रास्तों में सफर न करके पगडंडियों का सहारा लेते हैं।
मजदूरी लंबित, पानी की समस्या
ग्राम सेमरिया के ग्रामीण मजदूरों ने बताया मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों में मजदूरों को मजदूरी भुगतान नही मिल सका है जिससे उन्हे भारी परेशानी होती है। साथ ही सेमरिया एवं सुक्तरा के अलावा आसपास के ग्राम में जल संकट गहराने लगा है। जिससे भारी परेशानी हो रही है। ग्रामीणों ने बताया की सेमरिया में बने स्टाफ डेम में गेट नही लगाए जाने से पूरा पानी बह जा रहा है जिससे आने वाले समय में खेती एवं अन्य कार्य प्रभावित जावेंगे। वहीं रामगढ़ क्षेत्र में भी कई जगह नलकूप खराब होने से ग्राम स्तर पर पेयजल हेतु आदिवासी परिवारों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामजनों ने प्रशासन स्तर पर नलकूप सूधार की मांग की है।
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