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जानिए क्या है रक्षाबंधन की ऐतिहासिक कहानी, आखिर क्यों मनाते हैं राखी ? इस बार ये है शुभ मुहूर्त…

भाई बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है रक्षा बंधन पर्व। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार 26 अगस्त यानी आज के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं।

रक्षाबंधन की ऐतिहासिक कहानी

राखी या रक्षा बंधन या रक्षा सूत्र बांधने की सबसे पहली चर्चा महाभारत में आती है, जहां भगवान कृष्ण को द्रौपदी द्वारा राखी बांधने की कहानी है। दरअसल, भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से चेदि नरेश शिशुपाल का वध कर दिया था। इस कारण उनकी अंगुली कट गई और उससे खून बहने लगा। यह देखकर विचलित हुई रानी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर कृष्ण की कटी अंगुली पर बांध दी। कृष्ण ने इस पर द्रौपदी से वादा किया कि वे भी मुश्किल वक्त में द्रौपदी के काम आएंगे। पौराणिक विद्वान, भगवान कृष्ण और द्रौपदी के बीच घटित इसी प्रसंग से रक्षा बंधन के त्योहार की शुरुआत मानते हैं। कहा जाता है कि कुरुसभा में जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, उस समय कृष्ण ने अपना वादा निभाया और द्रौपदी की लाज बचाने में मदद की।

रक्षाबंधन से जुड़ा ऐतिहासिक प्रसंग

रक्षा बंधन पर्व से जुड़ा एक ऐतिहासिक प्रसंग भी काफी लोकप्रिय है जिसके अनुसार, मेवाड़ की महारानी कर्मावती को एक बार बहादुर शाह की ओर से मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी चूंकि लड़ने में असमर्थ थीं तो उन्होंने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुंच कर बहादुर शाह के विरुद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती और उसके राज्य की रक्षा की।

बहनें इस तरह करें भाई की पूजा

– थाल में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षा सूत्र और मिठाई रखें।

– घी का एक दीपक भी रखें, जिससे भाई की आरती करें।

– रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें।

– इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं।

– पहले भाई को तिलक लगाएं, फिर रक्षा सूत्र बांधें और फिर आरती करें।

– इसके बाद मिठाई खिलाकर भाई की मंगल कामना करें।

– रक्षासूत्र बांधने के समय भाई तथा बहन का सर खुला नहीं होना चाहिए।

– रक्षासूत्र बंधवाने के बाद माता-पिता और गुरु का आशीर्वाद लें, इसके बाद बहन को सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें।

– उपहार मैं ऐसी वस्तुएं दें, जो दोनों के लिए मंगलकारी हो, काले वस्त्र तथा तीखा या नमकीन खाद्य न दें।

इस बार रक्षाबंधन का मुहूर्त क्या है ?

– इस बार 26 अगस्त को भद्रा नहीं रहेगी।

– रक्षाबंधन का मुहूर्त 26 अगस्त को सुबह 7.43 से दोपहर 12.28 बजे तक रहेगा. इसके बाद दोपहर 2 से 4 तक रहेगा।

– सूर्योदय से तिथि मानने के कारण रात में भी राखी बांधी जा सकेगी।

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