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नौकरी करने वालों के लिए खुशखबरी! 5000 रुपये हो सकती है EPS पेंशन… बुधवार को हो सकता है फैसला…

EPFO के दायरे में आने वाली संगठित क्षेत्र की कंपनियों को अपने कर्मचारी को EPF (Employee Provident FUnd) का लाभ उपलब्ध कराना होता है. EPF में एंप्लॉयर व इंप्लॉई दोनों की ओर से योगदान कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 12-12 फीसदी है. नियोक्ता के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी इंप्लॉई पेंशन स्कीम EPS में जाता है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रोविडेंट फंड (PF) पर ज्यादा ब्याज देने और इम्प्लाइज पेंशन फंड (EPS) के तहत 5000 रुपये प्रति महीना पेंशन करने की तैयारी हो रही है. इन दोनों मामलों पर विचार-विमर्श के लिए इस हफ्ते लेबर पैनल बड़ा चर्चा करेगा.



28 अक्टूबर को होगी अहम बैठक- बैठक में पैनल EPFO के तहत 10 खरब रुपए के कोष का प्रबंधन, प्रदर्शन और निवेश पर मंथन करेगा. पैनल का गठन पिछले महीने ही किया गया था. सूत्रों की मानें तो EPFO को संगठित और असंगठित सेक्टर में काम करने वालों के लिए ज्यादा फायदेमंद कैसे बनाया जाए, इस पर भी पैनल विचार करेगा.

काफी समय से EPFO के कोष को फंड मैनेजर देख रहे हैं. साथ ही इसके निवेश से जुड़े फैसले भी वही करते हैं. ऐसे में यह पैनल इसका आकलन करेगा. पैनल के सदस्य कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते EPFO कोष पर पड़ने वाले प्रभाव का भी आकलन करेगा.

5000 रुपए तक बढ़ सकती है पेंशन- सूत्रों के मुताबिक, PF कोष के लिए गठित पैनल की बुधवार को होने वाली बैठक में कर्मचारियों की पेंशन योजना (EPS) के तहत पेंशन बढ़ाने और खाताधारक की मृत्यु के मामले में परिवारों को मिलने वाली राशि की उपलब्धता सुनिश्चत करने पर भी चर्चा होगी. EPS योजना के तहत न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 5,000 रुपए मासिक भुगतान करने पर भी विचार होगा.

कई ट्रेड यूनियन और श्रमिक संगठन भी पिछले कुछ समय से पेंशन की राशि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.केंद्र सरकार का मकसद असंगठित श्रमिकों को बुढ़ापे की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है.



EPF कोष पर पैनल कई बैठकों में इस मुद्दे पर चर्चा करेगी और अपनी विस्तृत रिपोर्ट संसद को शीतकालीन सत्र में सौपेंगी. पैनल के सदस्यों ने श्रम मंत्रालय के प्रतिनिधियों को दूसरे देशों में संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए किए गए प्रावधानों का भी ब्योरा दिया है.

बढ़ सकता है आपके पीएफ पर ब्याज- कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) पर वर्ष 2019-20 के लिए 8.5 प्रतिशत ब्याज तय किया है. यह पिछले पांच वित्तीय वर्षों में सबसे कम है. ऐसे में इसे भी बढ़ाने की तैयारी है. अगर पैनल अपनी रिपोर्ट में ज्यादा रिटर्न दिलाने वाली जगह पर निवेश करता है तो इसका फायदा आपको भी मिलेगा.



अगले वित्तीय वर्ष में ज्यादा ब्याज दिलाना भी पैनल की जिम्मेदारी होगी. वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए ब्याज दर दिसंबर अंत या जनवरी में तय होगी. उससे पहले पैनल की सिफारिशों के आधार पर इसे तय किया जा सकता है.

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