रायपुर। सहायक शिक्षक कल्याण संघ ने किया 10 अगस्त के धरने से खुद को अलग और किया फेडरेशन के नेताओं को चैलेंज किया है कि आचार संहिता लगने के पहले अगर वेतन विसंगति हुई दूर तो प्रदेशाध्यक्ष के पद से दे देंगे इस्तीफा। जवाब में फेडरेशन के एक नेता ने कहा-इसे पागलखाने भेजो, जबकि सहायक शिक्षक कल्याण संघ ही फेडरेशन का संस्थापक है।
प्रदेश में शिक्षाकर्मियों की वर्षो से मुख्य मांग रही संविलियन मिलने के बाद भी शिक्षाकर्मियों का एक वर्ग सहायक शिक्षक पँ का एक धड़ा असंतुष्ट नजर आ रहा है, वही दूसरा धड़ा संविलयन पश्चात सकारात्मक तरीके से अन्य समस्याओं के समाधान की बात कह रहा है।
शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के इस असंतोष का फायदा कुछ लोग उठाते दिख रहे हैं, कुछ ऐसे चेहरे अब वर्ग 3 के हितैषी बनकर आ रहे हैं जिन्होंने संविलियन हेतु किये गए आंदोलन से दूरी बनाकर रखे थे या फिर सरकार के साथ खड़े थे। चूंकि शिक्षाकर्मी वर्ग 3 की संख्या ज्यादा है इसलिए वर्ग 3 को अपने पाले में लाने के लिए कुछ संगठन अथवा अथवा लोग अपने अपने तरीके से रिझाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं दूसरे से खुद को ज्यादा हितैषी दिखाने की होड़ मची है, जिसके चलते वे एक-दूसरे को नीचा दिखाने से भी परहेज नही कर रहे हैं।
सहायक शिक्षक कल्याण संघ के प्रांताध्यक्ष बनाफर ने जब फेडरेशन से एक दिवसीय धरने की जगह अनिश्चितकालीन प्रदर्शन करने की बात कही तो फेडरेशन के एक नेता इदरीश खान ने उसे पागल और नकारा जैसे सम्बोधन से सम्बोधित करते हुए उसे समूह से हटाने की बात कह दी।
ज्ञात हो कि सहायक कल्याण संघ हमेशा 69 प्रतिशत शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के साथ होने का दावा करते आया है और फेडरेशन बनाने हेतु संस्थापक की भूमिका निभाई थी। कुल मिलाकर किसी बड़े नेतृत्व के अभाव में फेडरेशन बिखरते नजर आ रहा है क्योंकि इसके नेतृत्वकर्ता एक दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं।
वैसे भी वेतन विसंगति की बात कहकर लगातार अलग-अलग संगठन अलग-अलग तिथि में अपना धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। विकास राजपूत और चन्द्रदेवराय 9 अगस्त को शिक्षामंत्री के घेराव की बात कह रहे हैं, वही महासंघ छुट्टी के दिन धरने में बैठकर खुद को इनका हितैषी दिखाने की कोशिश कर रहा है। शिक्षाकर्मी वर्ग 3 यह कहते दिख रहे है कि छुट्टी के दिन धरने से कोई फर्क नहीं पडऩे वाला। फेडरेशन अपना अलग धरना प्रदर्शन कर रहा है। शिक्षाकर्मी राजनीति के जानकारों का कहना है कि अलग अलग आंदोलन करने से असफलता ही हाथ लगेगी बल्कि नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
आने वाले दिनों में इन शिक्षाकर्मी वर्ग 3 का खुद को हितैषी बताने की होड़ कही उनके नेतृत्वकर्ताओं में सिर फुटौव्वल की स्थिति पैदा न कर दे क्योंकि इन प्रदर्शन करने वालो में कोई भी बड़ा नेता अभी तक आगे नही आया है, ना ही संगठनात्मक अनुशासन इनके बीच दिखाई दे रहा है।
दबी जुबान से अधिकांश शिक्षाकर्मी यह मानते हैं कि नौसिखिया नेताओ के पीछे चलने से फायदे के बजाय नुकसान हो सकता है, वही वे यह भी मानते हैं कि इस विषय पर जब तक प्रदेश के पूरे शिक्षाकर्मी फिर से एकजुट नही होंगे आपेक्षित परिणाम मुश्किल है।
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