रविवार को दिल्ली में जुटेंगे देशभर के पैराशिक्षक नेतृत्वकर्ता, छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करेंगे वीरेंद्र दुबे

रायपुर। छग के एक लाख पौने पांच हजार शिक्षाकर्मियों का एक साथ शिक्षा विभाग में संविलियन करते हुए शासकीयकरण करने के समाचार ने देश के समस्त पैराशिक्षकों में हलचल मचा दी है। मध्य और उत्तर भारत के अधिकांश प्रदेशों के शासकीय स्कूलों में शिक्षाकर्मी, शिक्षा मित्र, अध्यापक,गेस्ट टीचर, पैरा टीचर, रहबर ए तालीम जैसे अनेकों नाम देकर विभिन्न राज्य सरकारों ने शासकीय शिक्षकों की तुलना में अत्यंत अल्प वेतन और शासकीय कर्मचारियों की सुविधाएं न देकर पैराशिक्षकों से अपने काम चला रही है, जबकि देश की वर्तमान मोदी सरकार शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की बात कर रही है।
विश्व के कई देशों में आज भी शिक्षकों का वेतन अन्य कर्मचारियों के मुकाबले अत्यधिक रखा जाता है,जबकि भारत मे शिक्षकों के साथ भारी भेदभाव किया जाता है, देश में शिक्षकों के वेतन सुविधाओं में कहीं कोई समानता नहीं है, उड़ीसा, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे राज्यों ने शासकीयकरण की नीति पहले से बना रखी है, और केंद्रीय वेतनमान देने का प्रयास भी कर रही है वही कुछ राज्यो में पैराशिक्षकों की हालत खराब है।
इसीलिये इन असमानताओं को दूर करने हेतु आवश्यक रणनीति बनाने के लिए देश भर के पैराशिक्षकों के नेतृत्वकर्ता राजधानी दिल्ली में 29 जुलाई को जुटने जा रहे हैं। चूंकि छग संविलियन नीति बनाकर क्रियान्वित करने वाला एकमात्र राज्य बन गया है इसलिये छग के शिक्षाकर्मियों को शासकीयकरण का लाभ दिलाने में अपनी बेहतर और कुशल नेतृत्वकर्ता के रूप में छवि बनाने वाले मोर्चा संचालक वीरेंद्र दुबे को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है।
प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेन्द्र शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह बैठक रविवार 29 जुलाई को होगी, जिसमें राष्ट्रीय पैराशिक्षक संघ के राष्ट्रीय संयोजक तथा शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र दुबे अपने सहयोगी घनश्याम पटेल के साथ सम्मलित होंगे और वहां पर पैराशिक्षकों के साथ हो रही असमानता और दोहरे मापदण्ड को दूर करने हेतु बनने वाली राष्ट्रीय रणनीति में अपनी राय प्रकट करते हुए प्रेजेंटेशन देंगे,
साथ ही प्राथमिक शिक्षा जो कि हमारी नींव होती है, को मजबूत बनाने के लिए तथा प्राथमिक के शिक्षकों के वेतनमान को सम्मान जनक प्रदान करने के लिए, देश के समस्त शिक्षकों का वेतन व सेवाशर्त में एकरूपता के लिए आवश्यक सुझाव व मांग भी मोदी सरकार से करेंगे। चूंकि 2019 में आगामी लोकसभा चुनाव है, और वर्तमान मोदी सरकार शिक्षा में आवश्यक सुधारों का पक्षधर है, इस दृष्टिकोण से भी बैठक महत्वपूर्ण है।
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