
रायपुर। शिक्षक पंचायत ननि मोर्चा के प्रांतीय संचालक विरेन्द्र दुबे ने मुख्यमंत्री और अपर मुख्य सचिव के बयानों के परिपेक्ष्य में छग के संविलियन पर कहा कि अविभाजित मध्यप्रदेश से 1994-95 से शिक्षा व्यवस्था में लागू शिक्षाकर्मियों की दोहरी, समानांतर असमान व असम्मानजनक व्यवस्था को समाप्त कर शिक्षाकर्मियों की समस्याओं के समग्र व स्थाई समाधान का एकमात्र व सर्वोत्तम विकल्प समस्त शिक्षाकर्मियों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन ही है। मध्यप्रदेश ने इस दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाया है जिसमें भले ही कुछ कमियां एवं आपत्तियां सामने आ रही हैं किंतु यह एक बड़ा नीतिगत निर्णय है। यदि सभी संबंधित पक्ष परिपक्वता व सकारात्मकता के साथ आगे बढ़े तो कमियों व आपत्तियों का निराकरण हो सकता है। इसके साथ ही संविलियन रूपी समाधान समुचित ढंग से प्राप्त हो सकता है।
मोर्चा के प्रांतीय उप संचालक धर्मेश शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ की स्थिति मध्यप्रदेश से बेहतर है तथा छत्तीसगढ़ में संविलियन के लिए मध्यप्रदेश से बेहतर मॉडल अपनाया जा सकता है। जिसमें मध्यप्रदेश की कमियों व आपत्तियों को भी दूर किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में रहित व सर्व स्वीकार्य संविलियन का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। इसमें पूर्व से कार्यरत नियमित शिक्षकों के हितों एवं सम्मान को सुरक्षित रखते हुए शिक्षक (पंचा/ ननि) संवर्ग के समस्त कर्मचारियों का स्कूल शिक्षा विभाग में समान पदनाम, समान सेवा शर्त, सेवा श्रेणी स्तर, वेतनमान व सुविधाओं के साथ संविलियन किया जा सकता है।
श्री शर्मा ने कहा कि शिक्षक (पंचा/ ननि) संवर्ग के पदोन्नति से वंचित कर्मचारियों का सातवां वेतनमान का निर्धारण, वरिष्टता एवं क्रमोन्नति के आधार पर करते हुए इसका भी समाधान किया जा सकता है। शिक्षा विभाग में वर्षों से रिक्त संस्था प्रमुख पदों पर भी पदोन्नति का प्रावधान सुनिश्चित कर ना केवल पदोन्नति की समस्या का समाधान किया जा सकता है बल्कि शिक्षा व्यवस्था में कसावट व गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकती है। इसके लिए शिक्षा विभाग, शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय संवर्ग, सरकार सभी को परस्पर विश्वास व परिपक्वता के साथ सकारात्मक रूप से आगे बढऩा होगा ताकि एक लंबा काला अध्याय समाप्त हो व हम सभी न्याय संगत तरीके से आगे बढ़ सके। संघर्ष में लगने वाले हमारे संसाधन व ऊर्जा का समुचित उपयोग शिक्षा की गुणवत्ता और राज्य के विकास की दिशा में लगाया सके।
प्रांतीय उप संचालक चन्द्रशेखर तिवारी और जितेंद्र शर्मा ने कहा कि अब छग के संविलियन में देर नही होना चाहिए। अन्य राज्यों की खामियों को भी दूर करने का पर्याप्त समय शासन को मिल चुका है। अपर मुख्य सचिव का बयान इस बात की पुष्टि करता है। व्यवस्था परिवर्तन के इस क्रांतिकारी निर्णय से मुख्यमंत्री का नाम भी स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जावेगा।
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