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विजया एकादशी व्रत रखने जा रहे हैं तो आज से ही इन नियमों का पालन करें…

एकादशी व्रत को श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया है. हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर ये व्रत रखा जाता है. सभी एकादशी के अलग अलग नाम होते हैं, साथ ही इनके महत्व भी अलग अलग हैं. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है.

इस नाम से ही स्पष्ट है कि ये एकादशी शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली है. विजया एकादशी व्रत का उल्लेख त्रेतायुग में भी मिलता है. मान्यता है कि रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले स्वयं श्रीराम ने विजया एकादशी का व्रत रखा था. वहीं द्वापरयुग में प्रभु श्रीकृष्ण ने इसका महत्व युधिष्ठिर को बताया था. इसके बाद ही पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीता था.

इस बार विजया एकादशी 27 फरवरी यानी रविवार को है. हालांकि एकादशी तिथि शनिवार, 26 फरवरी 2022 को सुबह 10 बजकर 39 मिनट से शुरू हो चुकी है जो अगले दिन यानी 27 फरवरी 2022, रविवार की सुबह 08 बजकर 12 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि होने की वजह से ये व्रत 27 फरवरी को ही रखा जाएगा. लेकिन इसके नियम आज शाम यानी 26 फरवरी से लागू हो जाएंगे.

जानें एकादशी व्रत के नियम
– एकादशी व्रत के नियम एक दिन पहले सूर्यास्त के बाद से शुरू हो जाते हैं. इस ​तरह से देखा जाए तो एकादशी व्रत के नियम आज शाम से लागू हो जाएंगे. व्रत के नियमानुसार शाम का भोजन सूर्यास्त से पहले करें. भोजन बिना प्याज और लहसुन का करें. इसके बाद व्रत के नियमों का पालन करें.

– आज शाम से व्रत नियम शुरू होने के बाद द्वादशी तिथि की सुबह पारण करने तक अन्न ग्रहण नहीं किया जाता. हालांकि भक्त इस व्रत को अपनी श्रद्धानुसार निर्जल, सिर्फ पानी लेकर, फल लेकर या फलाहार लेकर कर सकते हैं.

– व्रत नियम लागू होने के बाद ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत जरूरी है. ​ये नियम भी तीन दिनों यानी दशमी की रात से शुरू होकर द्वादशी तक चलता है. रात में जमीन पर बिस्तर लगाकर सोएं.

– व्रत वाले दिन घर में चावल, अंडा, मांस आदि नहीं बनना चाहिए. न ही शराब आदि का सेवन करना चाहिए.

– व्रत के दौरान किसी को अपशब्द न कहें. न ही किसी की निंदा या चुगली करें. किसी असहाय को न सताएं. प्रभु के नाम का जाप करते हुए मन को शुद्ध करने का प्रयास करें.

– एकादशी की रात में जागरण करें और भगवान का भजन और ध्यान आदि करें. द्वादशी के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराने और दक्षिणा आदि देने के बाद खुद भोजन लेकर व्रत का पारण करें.

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