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सीधा दिमाग पर असर कर रहा है कोविड, हल्की बीमारी वाले भी हो रहे ‘ब्रेन फॉग’ का शिकार

लंदन. कोरोना वायरस (Coronavirus) मरीजों के दिमाग पर भी गंभीर असर डाल रहा है. इस बात के संकेत हाल ही में हुई स्टडी में मिली है. पता चला है कि हल्की बीमारी का सामना कर रहे कोविड मरीज अभी भी ‘ब्रेन फॉग’ का सामना कर सकते हैं, जो 9 महीनों तक बना रह सकता है. हालांकि, जानकार यह जानते हैं कि लॉन्ग कोविड का शिकार हुए मरीज ध्यान रखने में मुश्किलों का सामना कर सकते हैं.

डेली मेल के मुताबिक, ब्रेन कम्युनिकेशन्स जर्नल में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, 135 लोगों का विश्लेषण किया गया था. स्टडी के दौरान इन सभी लोगों को दिमाग से जुड़े 12 ‘ब्रेन गेम्स’ में शामिल किया गया. 40 फीसदी लोगों ने बताया कि वे कोविड संक्रमित हो चुके हैं. संक्रमित हो चुके लोगों में से 7 ने गंभीर लक्षणों का सामना किया था. वहीं, दो लोगों ने बताया कि उन्हें लॉन्ग कोविड हुआ था. जबकि, अन्य लोगों ने कहा कि उन्हें थकान, सांस लेने में परेशानी, दर्द समेत लॉन्ग कोविड से जुड़ी अन्य परेशानियां नहीं हुईं.

स्टडी के दौरान आए नतीजों की तुलना कंट्रोल ग्रुप से की गई. जानकारों का कहना है कि कोविड समूह ने शॉर्ट टर्म मैमोरी वर्किंग और प्लानिंग यानि योजना के मामले में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन पिछली घटनाओं की याद और समय पर ध्यान बनाए रखने के मामले में उनका स्कोर काफी खराब रहा. कोविड का शिकार हो चुके लोगों ने पाया कि एक ‘ब्रेन गेम’ में उनकी एक्युरेसी तीन मिनट के भीतर 75.5 फीसदी से घटकर 67.8 प्रतिशत पर आ गई. वहीं, संक्रमित नहीं होने वाले लोगों में यह आंकड़ा 78.5 प्रतिशत से 75.4 प्रतिशत पर आ गया.

सभी प्रतिभागियों को शुरुआती जांच के दो महीनों के बाद दोबारा बुलाया गया. इस बार इन्हें 11 और खेलों के लिए कहा गया. इस दौरान शामिल लोगों की Immediate Memory और Delayed Memory के प्रदर्शन को लेकर जांच की गई. एक खेल में व्यक्ति को 20 ऑब्जेक्ट्स के बारे में ध्यान रखना था. दोनों समूहों ने Immediate memory के मामले में औसतन 60 फीसदी के आसपास स्कोर किया.

हालांकि, 30 मिनट बाद हुए लॉन्ग मेमोरी टेस्ट में कोविड संक्रमित हो चुके लोगों को याद करने में गिरावट का सामना करना पड़ा. जबकि, दूसरे समूह के मामले में यह नतीजे एकदम विपरीत रहे. रिपोर्ट के अनुसार, कई लोगों की याददाश्त और ध्यान 6-9 महीनों के बाद सामान्य पर आ गए.

ऑक्सफोर्ड में एक्सपेरिमेंटल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर शिजिया झाओ ने कहा, ‘हैरानी वाली बात यह है कि भले ही कोविड से उबर चुके लोग जांच के समय लक्षणों का सामना नहीं कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने कम ध्यान और याददाश्त का प्रदर्शन किया.’

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