
मानसून की अब तक की सबसे तेज बरसात ने रायपुर शहर की जलनिकासी व्यवस्था की नाकामियों की तस्वीर दिखा दी है। दोपहर बाद हुई एक घंटे की तेज बारिश से रायपुर शहर की मुख्य सड़कें लबालब हो गईं। उफनाए नालों का पानी बस्तियों, कॉलोनियों और घरों में भर गया। कई निचले इलाकों में हालात चिंताजनक हो गए।
रायपुर में दोपहर दो बजे के बाद बरसात तेज हुई। करीब 3 बजे तक शहर का जयस्तंभ चौक जलमग्न हो चुका था। जीई रोड पर पूरी तरह पानी भरा था। नगर घड़ी चौक पर घुटनों तक पानी बह रहा था। राजा तालाब, प्रोफेसर कॉलोनी, अवंति विहार, जल विहार कॉलोनी, रेलवे स्टेशन रोड, विशाल नगर, समता कॉलोनी, चौबे कॉलोनी, जगन्नाथ नगर, बांसटाल, मोदहापारा जैसे क्षेत्रों में लोगों के घरों में पानी घुस गया। गलियों में घुटनों से ऊपर पानी था। मोदहापारा की सड़क को तो दुर्घटना की आशंका में बंद कर दिया गया। आवाजाही एकदम से बंद हो गई। इसकी वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। मौसम विभाग के मुताबिक शाम 5 बजे तक रायपुर में 30 मिलीमीटर से अधिक पानी बरस चुका था।
शॉपिंग कॉम्पलेक्स और थाने में भी पानी भर गया
सबसे व्यस्त इलेक्ट्रॉनिक्स बाजारों में से एक लालगंगा शॉपिंग कॉम्पलेक्स में पानी घुस गया। उसके भूतल वाले हिस्से में दुकानों में पानी जाने से इलेक्ट्रॉनिक सामानों के नुकसान की आशंका है। आजाद चौक थाने में भी पानी भरा है। इसकी वजह से पुलिसकर्मियों को दिक्कत उठानी पड़ रही है।
सड़क किनारे के नाले नहीं दिख रहे
शहर के कई हिस्सो में बने अंडरब्रिज पूरी तरह पानी से भर गए हैं। उनसे होकर आवाजाही बंद है। वहीं सड़क किनारे के नाले खतरनाक हो चुके हैं। जलभराव की वजह से नाला और सड़क का अंतर समझ में नहीं आ रहा है। ऐसे में बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।
जहां-जहां नाले खत्म, वहां बस्तियों में पानी
शहर में लगभग 117 छोटे-बड़े नाले हैं। इनमें 50 से ज्यादा बड़े नाले हैं, जिनकी चौड़ाई 50 से लेकर सौ फीट थी, लेकिन अब काफी कम हो गई है। 20 से 45 फीट के 30 से ज्यादा नाले हैं और 35 से 40 नाले दो से चार फीट के हैं। शहर के प्रमुख और बड़े नालों में शांति नगर का अरमान नाला है। घड़ी चौक, बैरनबाजार, तात्यापारा सहित शहर के बीच घने इलाके के बारिश के पानी को बाहर निकालने वाला अरमान नाला रविनगर होते हुए राजातालाब से सड्ढू, दलदल सिवनी होकर खारुन नदी में मिलता है। यह नाला राजातालाब में दो तरफ से बहकर आता है और नई बस्ती के पास मिल जाता है।
किसी जमाने में यहां पर रहने वाले अरमान टेलर के नाम पर ही इस नाले का नाम अरमान नाला पड़ गया। इस वार्ड के पूर्व पार्षद रहे सुनील चौधरी ने बताया कि शहर के पानी को बाहर निकालने के लिए नाले को कम से कम 30 फीट चौड़ा होना चाहिए। हमारे वार्ड में यह 25 फीट ही बना पाया लेकिन कहीं-कहीं पर राजनीतिक और घर बचाने के चक्कर में इसे पांच फीट ही बना दिया गया। संकरा होने के कारण ही बारिश में पानी ओवरफ्लो होकर बस्तियों में घुस जाता है। यही नाला आगे चलकर दलदल सिवनी पहुंचता है। दलदल सिवनी इस समय तेजी से बसाहट वाला इलाका है। 100 फीट के इस नाले को कई जगह 40 से 50 फीट तक पाट दिया गया है। मोवा में साइंस सेंटर के पीछे से बहने वाले जब्बार नाला भी कई जगहों से पाट दिया गया है। भाठागांव में चिंगरी नाला कई जगहों पर संकरा हो गया है।