उम्र बीत जाने के बाद भी शान से खड़ा है ये लीची वृक्ष, जानें क्या है मामला

जगदलपुर। विविधता से भरे बस्तर के जंगलों में कई विविधताएं देखने मिल जाती है और कई बार तो ऐसे वृक्ष दिखाई पड़ जाते हैं, जिनको देखने से ही दांतो तले उंगली दबानी पड़ती है। ऐसा ही एक वृक्ष दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिला के अन्तर्गत भांसी के पास है। यह वृक्ष लीची का है और अपनी उमर में यह अपने ही प्रजाति के भाईयों को चुनौती भी दे रहा है। भांसी के पास स्थित इस लीची झाड़ की स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार करीब सौ वर्ष से अधिक हो चुकी है और इसकी उंचाई अपनी औसतन उंचाई से बहुत उंचा है। लीची वृक्ष के बारे में विशेषज्ञों का कहना है यह वृक्ष 40-50 वर्षो तक ही जीवित रहता है, लेकिन यह वृक्ष 100 वर्ष पूरे करने के बाद भी आज शान से खड़ा है।
इस संबंध में विशेषज्ञों का मानना है कि लीची के वृक्षों में कई वृक्षों में से एक वृक्ष इस प्रकार की विशेषताओं के साथ होता है और यह अपनी आयु से भी कई गुना अधिक जीवित रहता है। आम, इमली और सागौन के तथा साल के वृक्षों के साथ यह लीची वृक्ष अपने अस्तित्व को लेकर किंचित मात्र भी चिंतित दिखाई नही पड़ता है। यह आज भी शान से खड़ा हुआ है और प्रतिवर्ष इस पर फल भी लगते हैं। इस वृक्ष के लीची के फलों का बखान करते हुये ग्रामीणों ने बताया कि यह लीची के फल उन्हें प्रचुर मात्रा में कैलश्यिम तो देते ही है साथ ही उन्हें भरपूर पौष्टिकता भी प्रदान करते हैं। इस वृक्ष को जीवित रखने और इसे पल्लवित देखने ग्रामीण अपना सहयोग भी करते हैं।