हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है. इस दिन भक्त मां दुर्गा की पूजा करते हैं और व्रत भी रखते हैं. इस दिन विधि विधान के साथ पूजा करने और व्रत रखने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन सच्चे मन से प्रार्थना करने से मां दुर्गा की खास कृपा प्राप्त होती है. आज 30 दिसंबर 2022 को साल की आखिरी दुर्गाष्टमी है.
दुर्गाष्टमी की पूजा विधि (Masik Durgashtami Puja Vidhi)
पूरे विधि विधान से दुर्गाष्टमी पर व्रत और पूजन करने से मनोवांछित फल मिलता है. दुर्गाष्टमी के दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें. लकड़ी के पाट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें. माता को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं. धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें. हाथ जोड़कर देवी से प्रार्थना करें, दुर्गा मां आपकी सारी इच्छा पूरी करेंगी.
मासिक दुर्गाष्टमी शुभ मुहूर्त (Masik Durgashtami 2022 Shubh Muhurat)
पौष, शुक्ल अष्टमी
प्रारम्भ – दिसम्बर 29, शाम 07 बजकर 17 मिनट से शुरू
समाप्त – दिसम्बर 30, शाम 06 बजकर 33 मिनट पर खत्म
दुर्गाष्टमी कथा (Masik Durgashtam Katha)
शास्त्रों के अनुसार, सदियों पहले पृथ्वी पर असुर बहुत शक्तिशाली हो गए थे और वे स्वर्ग पर चढ़ाई करने लगे. उन्होंने कई देवताओं को मार डाला और स्वर्ग में तबाही मचा दी. इन सबमें सबसे शक्तिशाली असुर महिषासुर था. भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया. हर देवता ने देवी दुर्गा को विशेष हथियार प्रदान किया. इसके बाद आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया. मां दुर्गा ने महिषासुर की सेना के साथ युद्ध किया और अंत में उसे मार दिया. उस दिन से दुर्गाष्टमी का पर्व प्रारम्भ हुआ.
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन इन नियमों का करें पालन (Masik Durgashtami Niyam)
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए
इस दिन मांस, मदिरा या प्याज-लहसुन वाला भोजन नहीं करना चाहिए.
व्रत के दिन व्यक्ति को झूठ नहीं बोलना चाहिए और ना ही किसी को अपशब्द बोलने चाहिए.
व्रत के दिन बार-बार पानी पीने और गुटका, सिगरेट आदि का सेवन करने से बचना चाहिए.
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