नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के 6 हत्यारों को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रिहा कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों को आधार बनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने तीन दशक से ज्यादा का समय जेल में बंद रहकर गुजारा. सभी दोषियों को जेल में व्यवहार भी अच्छा था. इसके अलावा उन्होंने जेल में रहकर पढ़ाई की और डिग्रियां हासिल कीं. इस दौरान वह बीमार भी रहे. राजीव हत्याकांड के जिन दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रिहा किया उनमें नलिनी श्रीहरन, रॉबर्ट पेस, रविचंद्रन, राजा, श्रीहरन और जयकुमार शामिल हैं.
गौरतलब है कि उनकी रिहाई से कांग्रेस खासी नाराज है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में हमारे पास जो भी विकल्प होंगे उनका हम इस्तेमाल करेंगे. राजीव गांधी का बलिदान हम व्यर्थ नहीं जाने देंगे. हमारी कोर्ट से अपील है कि वह दोषियों की रिहा न करें. पूर्व पीएम की हत्या करना भारत के अस्तित्व पर हमला करना है. इसमें कोई राजनीति का रंग नहीं होता. इस तरह के अपराध में किसी को रिहा नहीं किया जा सकता.
समय से पहले दोषी ने की रिहाई की मांग
गौरतलब है कि राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई की सिफारिश तमिलनाडु सरकार ने की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने कार्रवाई नहीं की है. दूसरी ओर, राजीव गांधी हत्याकांड की दोषी एस नलिनी ने समय से पहले रिहाई की मांग की थी. उसने अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
यहां हुई थी राजीव गांधी की हत्या
उसने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसकी शीघ्र रिहाई की याचिका खारिज कर दी गई थी. गौरतलब है कि आत्मघाती हमलावर एक महिला ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदूर में हत्या कर दी थी. उस वक्त राजीव गांधी चुनावी रैली कर रहे थे. महिला का नाम धनु बताया गया था.
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