इस बार रक्षाबंधन (Rakshabandhan) की तारीख और राखी बांधने के समय (Rakhi Muhurat) को लेकर पेंच फंस गया है. हर साल किसी न किसी त्योहार के दिन या पूजा मुहूर्त को लेकर ऐसा पेंच फंसता है. अब इस साल रक्षाबंधन को हो ले लीजिए. कहीं पर 11 अगस्त को रक्षाबंधन है तो कहीं पर 12 अगस्त को मनाने की तैयारी है. ऐसे में आम आदमी के लिए समस्या यह हो जाती है कि वह किस दिन रक्षाबंधन मनाए? काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट बता रहे हैं रक्षाबंधन की सही तारीख और क्यों फंस जाता है दिन या तारीख पर पेंच?
रक्षाबंधन 11 अगस्त या 12 अगस्त को?
रक्षाबंधन का त्योहार सावन पूर्णिमा की तिथि को मनाते हैं. अब हमें यह देखना है कि सावन पूर्णिमा तिथि कब है. काशी विश्वनाथ ऋषिकेष पंचांग के अनुसार, सावन पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 09 बजकर 34 मिनट पर प्रारंभ हो रही है और अगले दिन 12 अगस्त को सुबह 05 बजकर 58 मिनट पर समाप्त हो रही है. 12 अगस्त को सूर्योदय के समय भादप्रद माह की प्रतिपदा तिथि लग रही है, इसलिए 12 अगस्त को श्रावस पूर्णिमा तिथि प्राप्त नहीं हो रही है. ऐसे में 11 अगस्त को ही श्रावण पूर्णिमा तिथि मानी जाएगी और इस दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाना उत्तम है.
क्यों होती है गड़बड़ी?
ज्योतिषाचार्य भट्ट के अनुसार, तिथियों की गणना के लिए काशी या फिर उज्जैन के पंचांग की ही मान्यता है. अब कई जगहों पर लोग ऑनलाइन पंचांग या अन्य पंचांग से तिथियों की गणना कर लेते हैं. काशी या उज्जैन के पंचांग और अन्य दूसरे पंचांगों में तिथियों के प्रारंभ एवं समापन के समय में अंतर होता है, जिसकी वजह से त्योहारों की तारीखों को लेकर दुविधा की स्थिति पैदा हो जाती है. उन पंचांग में स्थान के अनुसार सूर्योदय की मानक गणना बदल जाती है, जिससे यह समस्या उत्पन्न होती है. हर शहर या स्थान के सूर्योदय काल में अंतर होता है. जब भी आपको व्रत और त्योहार के लिए तिथि देखनी हो तो काशी या उज्जैन के पंचांग को देखें.
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