पिहरीद में अपने घर के बाेर में गिरे मासूम राहुल साहू को निकालने का प्रयास चौथे दिन भी चलता रहा। रविवार की रात करीब 11 बजे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने बाेर से दूर छोड़ी गई मिट्टी की भारी भरकम दीवार को काटकर टनल बनाने की शुरूआत की थी, तब सबके चेहरे पर एक नई उम्मीद की मुस्कान थी कि जिस राहुल को निकालने के लिए प्रशासनिक, पुलिस तमाम विभागों के अधिकारियों को तब यह उम्मीद थी कि यह काम करीब 6 घंटे में पूरा हो जाएगा, लेकिन इन उम्मीदों के बीच में बड़ा रोड़ा बन गई है, इस मिट्टी में आई बड़ी चट्टानें। छह घंटे का काम 22 घंटे बाद भी पूरा नहीं हो सका था।
रात 8 बजे तक करीब 13 फीट टनल खोदी जा सकी थी, जबकि करीब 10 फटी टनल की खुदाई बाकी थी। स्मोक फ़िल्टर भी लगाए गए है। होरिजेंटल खुदाई की जा रही है। आज उम्मीदों का मंगलवार माना जा रहा है।
आवाज जो 65 घंटे से बनी है उम्मीद की डोर
राहुल… बेटा राहुल । बेटा… उठो… केला खा लो… फ्रूटी पी लो। जांजगीर के पिहरीद गांव में बार-बार गूंज रही यह आवाज लोगों के लिए उम्मीद को डोर बनी रही। बोरवेल में फंसे राहुल से लगातार बात करने वाले दो लोग हैं… एनडीआरएफ के जवान बी.अनिल और एलबी कापसे। अनिल आंध्रप्रदेश के जबकि कापसे महाराष्ट्र के हैं। लगभग 65 घण्टे से भी अधिक समय से अनिल और कापसे बोरवेल के पास बैठे हैं।
रात 11 बजे उतरी थी टीम टनल बनाने
सुरंग की राह में आई बड़ी चट्टान को हैंड ड्रिलिंग मशीन से काटने का प्रयास किया गया। रविवार रात केरीब 11 बजे टनल के काम में लगे अधिकारी, कर्मचारी व सुरक्षा बल को कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने उतारा था। छोटी मशाी से काम किया गया। कामयाब नहीं होने पर कलेक्टर ने इससे बड़ी मशीन मंगाई है। ज्यादा बड़ी मशीन का उपयोग करने से कम्पन बढ़ जाएगी, इसलिए टनल बनाने में पूरी सावधानी बरती जा रही है।
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