
रायपुर। विधानसभा में आज पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने प्रदेश में आदिवासियों के बेदखली का मामला शून्यकाल में उठाया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश से छत्तीसगढ़ के वन भूमि पर काबिज हजारों आदिवासियों के बेदखल होने की आशंका है। प्रदेश सरकार इस मामले में तत्काल कोई कदम उठाकर राहत प्रदान करें। इसका प्रमुख विपक्षी भाजपा द्वारा भी समर्थन किया गया।
अजीत जोगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश से प्रदेश के 70 हजार आदिवासी जो वन भूमि पर काबिज है उनके बेदखल होने की संभावना बढ़ गई है जिससे आदिवासियों के सामने रोजी रोटी की समस्या भी उतपन्न हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार आदिवासी क्षेत्र डिलिमिलि में 30 हजार करोड़ का स्टील प्लांट लगने जा रहा है इससे भी आदिवासी अपने मुल भूमि से बेदखल हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि जमीन एवं रोजी रोटी से बेदखल करने वाले ऐसे आदेश के खिलाफ सरकार को करना चाहिए कि अतिशीघ्र कोर्ट की शरण में जाकर इस समस्या का हल ढूंढे ताकि प्रदेश के मुल निवासी आदिवासी अपनी जमीन से वंचित ना हो जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान की कंपनी को सरगुजा में खुली खदान के लिए भूमि दी है इससे भी हज़ारो की संख्या में लोग प्रभावित होंगे। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि कुल 5 बिंदु पर उनके द्वारा स्थगन प्रस्ताव दिया है इसे स्वीकार कर सदन में इस पर चर्चा कराई जाए।
जोगी कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य धर्मजीत सिंह ने भी श्री जोगी द्वारा उठाए मामले में सदन में चर्चा कराए जाने की मांग की। प्रमुख विपक्ष भाजपा दल से नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी इस मुद्दे का समर्थन करते हुए इस पर सदन में चर्चा कराए जाने की मांग की।
श्री कौशिक ने जगदलपुर में भाजपा युवा मोर्चा के प्रदर्शन के दौरान उसके पदाधिकारी से पुलिस द्वारा प्रताडि़त किए जाने का मामला उठाते हुए कहा कि प्रदेश में लगातार पुलिस का आतंक बढ़ रहा है। एक के बाद एक घटनाएं सामने आ रही है। इससे पहले पूर्व भजपा विधायक के साथ भी पुलिस द्वारा दुव्र्यवहार किया गया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में भी हमारे दल की और से ध्यानाकर्षण सूचना दी गई है। अध्यक्ष से उन्होंने इसे स्वीकार कर चर्चा कराए जाने की मांग की।
इस मुद्दे पर भाजपा सदस्य शिवरतन शर्मा और अजय चंद्राकर ने भी चर्चा कराए जाने की मांग की। प्रभावित होने का मामला दोनों विपक्ष के सदस्यों ने उठाया। सदस्यों ने मांग की इस पर स्थगन और ध्यानाकर्षण सूचना दी हुई है जिसे स्वीकार कर इस पर सदन में चर्चा कराई जाए। विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर बाद में विचार करने की बात की।
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