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विधानसभा: SECL से मजदूरों को निकाले जाने का मामला सदन में गूंजा…विनय जायसवाल ने ध्यानाकर्षण में उठाया मामला…

रायपुर। विधानसभा में आज एसईसीएल से स्थानीय मजदूरों को निकाले जाने का मामला सदन में गूंजा। सदस्य डॉ. विनय जायसवाल ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से एसईसीएल कोल माईन्स से प्रदेश के स्थानीय मजदूरों को निकाले जाने का मामला उठाया।

उन्होंने कहा कि चिरमिरी में स्थापित एसईसीएल कोल माईन्स के द्वारा यहां 15 से अधिक वर्षों से कार्यरत छत्तीसगढ़ के स्थानीय मजदूरों को प्रबंधकों के द्वारा उनका निवास प्रमाण पत्र फर्जी होने अथवा उनके मूल निवास प्रमाण पत्र में अंकित नाम तथा माइन्स की पंजी में उनको अंकित नाम में भिन्नता होना बताकर जबरन निकाले जाने की कार्यवाही निरंतर जारी है। छत्तीसगढ़ के सौ से अधिक स्थानीय मजदूरों से उनका रोजगार छिन गया है।

माईन्स के प्रबंधकों के द्वारा उनके मूल निवास प्रमाण पत्र का स्थानीय जारीकर्ता सक्षम अधिकारी से सत्यापन कराए बगैर ही उक्त कार्यवाही की जा रही है। तथा अन्य प्रदेश के लोगों को यहां लाकर रोजगार दिया जा रहा है। जिससे स्थानीय लोग बेरोजगार हो रहे है और उनके साथ छल किया जा रहा है।

इसके जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सदन में बताया कि भारत सरकार के उपक्रम साउथ ईस्टर्न कोल फिल्डस लिमिटेड (एसईसीएल) की कोरिया जिले में चिरमिरी स्थित कोयला खदानों में कार्यरत स्थानीय मजदूरों के मूल निवास प्रमाण पत्र में अंकित नाम तथा पता में भिन्नता के कारण नौकरी से निकाले जाने से संबंधित है।

कोरिया जिले में एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र में कुल 08 खदाने लगभाग वर्ष 1985 से संचालित है। इन खदानों में अन्य प्रदेशों के मजदूर और छत्तीसगढ़ के 100 से अधिक मजदूर के रुप में कार्यरत है। इन मजदूरों के द्वारा प्रस्तुत किये गये मूल/ स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र एवं अन्य दस्तावेजों को सक्षम प्राधिकारियों से सत्यापन कराये जाने के उपरांत ही एसईसीएल प्रबंधन द्वारा स्वीकार किया जाता है।

एसईसीएल प्रबंधन से उपलब्ध जानकारी के अनुसार एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र में किसी मजदूर की शिकायत प्राप्त होने पर उस मजदूर की सेवा पुस्तिका में दर्ज मूल निवास स्थान पर उस राज्य के उसी जिले के पुलिस अधीक्षक के द्वारा सत्यापन कराया जाता है।



पुलिस अधीक्षक के जांच प्रतिवेतन होने के उपरांत शिकायत सही पाये जाने पर एसईसीएल के प्रमाणित स्थायी आदेश के अनुसार आरोप पत्र जारी किया जाता है। कर्मचारी के द्वारा तीन दिवस के अंदर अपना जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिये जाते है। उसके उपरांत जवाब संतोषजनक नहीं पाये जाने पर कार्यालय के द्वारा जांच समिति गठित की जाती है। जांच के कार्यवाही मं प्राकृतिक न्याय के सिध्दांत पर कर्मचारी को अपना पक्ष रखने के लिए पूर्ण अवसर दिया जाता है। जांच अधिकारी के प्रतिवेदन के आरोप सही पाये जाने पर उस प्रबंधन द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की जाती है।

एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र में कुल 271 शिकायते प्राप्त हुई है जिसमें से 119 प्रकरणों में कार्यवाही की जा चुकी है। 95 प्रकरणों में मजदूरों को दोषमुक्त किया गया है और 24 मजदूरों को निष्काषित किया गया है। 38 शिकायतों पर संबंधित पुलिस अधीक्षक को जांच करने हेतु लेख किया गया है। 38 शिकायतों पर जांच प्रक्रिया किया जा रहा है।

इन प्राप्त कुल 271 शिकायते बाहरी निवासियों की हैं जिसमें स्थानीय मजदूर की शिकायत प्राप्त नहीं है। एसईसीएल द्वारा शिकायत के संबंध में राज्य स्थानीय प्रशासन से कोई सुझाव नहीं लिया गया और न ही संबंधित जांच के लिए कोई पत्र लेख किया गया है।

जहां तक अन्य राज्यों से लोगों को लाकर कम्पनी में भर्ती किये जाने का प्रश्न है इस संबंध में एसईसीएल ने अवगत कराया है कि कंपनी में भर्ती क्षेत्रीय स्तर पर नहीं की जाती है। एसईसीएल की चिरमिरी खदान से स्थानीय मजदूरों को नौकरी से निकाले जाने की शिकायत जिला प्रशासन को प्राप्त नहीं हुई है। इस संबंध में शिकायत प्राप्त होने पर जिला प्रशासन दरा कार्यवाही की जायेगी।

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