नई दिल्ली : भारतीय अर्थव्यवस्था को कोविड -19 के नुकसान से उबरने में 12 साल का समय लग सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 2021-22 के लिए ‘मुद्रा और वित्त’ पर शुक्रवार को जारी अपनी रिपोर्ट में ये संभावना व्यक्त की है। आरबीआई ने कहा महामारी एक भयंकर समय है और महामारी के चलते हुए संरचनात्मक परिवर्तन विकास की दिशा को बदल सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक अर्थव्यवस्था को कोविड से उबरने में 12 साल का समय लग सकता है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक पूंजीगत खर्च पर सरकार का निरंतर जोर, डिजिटलीकरण को बढ़ावा के साथ ही ई-कॉमर्स, स्टार्ट-अप, नवीकरणीय और रसद आपूर्ति शृंखला जैसे क्षेत्रों में निवेश के बढ़ते अवसर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद कर सकते हैं।
महामारी में 52 लाख करोड़ का नुकसान
अर्थव्यवस्था पर कोविड -19 के प्रभाव के विश्लेषण में रिपोर्ट ने महामारी की अवधि के दौरान लगभग 52 लाख करोड़ रुपये के उत्पादन नुकसान का अनुमान लगाया है।
आरबीआई ने 2020-21 के लिए उत्पादन घाटा 19.1 लाख करोड़, 2021-22 के लिए 17.1 लाख करोड़ और 2022-23 के लिए 16.4 लाख करोड़ रुपये आंका है। रिपोर्ट का विषय ‘रिवाइव और रिकंस्ट्रक्शन’ है जो एक टिकाऊ रिकवरी पोस्ट-कोविड को पोषित करने और मध्यम अवधि में प्रवृत्ति वृद्धि को बढ़ाने के संदर्भ में है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। “कोविड की एक नई लहर ने चीन, दक्षिण कोरिया और यूरोप के कई हिस्सों को प्रभावित किया है। हालांकि, विभिन्न अर्थव्यवस्थाएं अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रही हैं, एक तरफ कुछ क्षेत्रों में नो-कोविड नीति अपनाई जा रही तो वहीं कुछ जगह अपेक्षाकृत खुली सीमाओं वाले लोगों और आंतरिक प्रतिबंधों को हटाने के लिए तैयारी हो रही है।”
भारत को लेकर इसमें कहा गया है कि “विकसित स्थिति के जवाब में स्थानीय स्तर पर प्रतिबंध स्तरों को गतिशील रूप से ठीक किया जा रहा है।”
रिपोर्ट की प्रस्तावना में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और इसे अपने पूर्व-प्रथम लहर पथ पर वापस लाने के लिए पर्याप्त नहीं था।
उन्होंने कहा “हमारा लक्ष्य उद्यमियों, व्यवसायों और वित्तीय प्राधिकरण के लिए अधिक से अधिक अवसर का एक अच्छा चक्र बनाने का है।”
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