अफगानिस्तान: नई सरकार के लिए तालिबान की माथापच्ची जारी… ये हो सकते हैं नए आका…

काबुल. अफगानिस्तान (Afghanistan) में नेतृत्व का औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है. खबर है कि तालिबान (Taliban) के शीर्ष नेता राजनीतिक तौर पर मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि समूह अलग-अलग धड़ों और जनजातियों और उनके समर्थकों के हित साधने में लगा हुआ है. इस दौरान में पाकिस्तान (Pakistan) की रक्षा व्यवस्था को भी काफी अहम माना जा रहा है. फिलहाल, कहा जा रहा है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर, मौलवी हैबतुल्लाह अखुंदजादा जैसे कई नेताओं का नाम शीर्ष पदों के लिए आगे चल रहा है.
ये हो सकते हैं अफगानिस्तान के नए शासक
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर
संगठन में नंबर दो की हैसियत रखने वाले मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नई सरकार के मुखिया बनने की संभावनाएं हैं. बरादर तालिबान की राजनीतिक इकाई का प्रभारी भी है. इस हफ्ते हुई पहली प्रेस वार्ता में भी बरादर शामिल हुआ था. वह पोपलजाइ पश्तून जनजाति से आता है और उसे मुल्ला मोहम्मद उमर के साथ तालिबान के सह-संस्थापक के रूप में जाना जाता है.
मौलवी हैबतुल्लाह अखुंदजादा
हो सकता है कि शीर्ष नेता या अमिर उल मोमिनीन मौलवी हैबतुल्लाह अखुंदजादा सरकार में सीधे तौर पर हिस्सा ना लें. दोहा में हुई चर्चा के दौरान ईरान की तरह सुप्रीम लीडर को लेकर बातचीत हुई थी. अगर ऐसा पद बनाया जाता है कि तो मौलवी इसके लिए पसंद हो सकते हैं.
मुल्ला मोहम्मद याकूब
मुल्ला उमर का 31 साल का बेटा मुल्ला मोहम्मद याकूब तालिबान की सेना में ऑपरेशन हेड की भूमिका में है. कहा जा रहा है कि नई सरकार में उसे बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. याकूब अमेरिका के साथ हुई चर्चा में तालिबान के प्रतिनिधिमंडल या अंतर अफगान वार्ता का हिस्सा नहीं था. वह तालिबान के नेतृत्व परिषद रहबरी शुरा का हिस्सा है, जिसे क्वेटा शुरा के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि 2001 में सत्ता से हटाए जाने के बाद कई सदस्य पाकिस्तान के इस शहर में रहते थे.
मुल्ला खैरुल्लाह खैरख्वा और मुल्ला मोहम्मद फज्ल
दोनों की उम्र 54 साल है और ग्वांटनामो बे के पांच बंदियों में शामिल हैं. तालिबान के सत्ता से बाहर जाने के कुछ महीनों में ही इन्हें पकड़ लिया गया था. हालांकि, मई 2014 में अमेरिकी सैनिक बोई बर्गडाल के बदले इन्हें छोड़ दिया गया था. सैनिक को हक्कानी नेटवर्क ने पकड़ लिया था. खैरख्वाह भी पोपलजई है और पिछली तालिबान सरकार में आंतरिक मंत्री रहा था. दुर्रानी जनजाति से आने वाला फज्ल डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर था.
सिराजुद्दीन हक्कानी
अभी तक यह साफ नहीं है कि अपने पिता जल्लालुद्दीन से हक्कानी नेटवर्क का नेतृत्व हासिल करने वाला सिराजुद्दीन हक्कानी नई व्यवस्था का आधिकारिक हिस्सा बनने के लिए सामने आएगा. हालांकि, वह फैसले और कार्रवाई में अहम भूमिका निभाएगा. 2007 से ही वह UNSC के प्रस्ताव 1272 के तहत आतंकी है और उसपर 5 मिलियन डॉलर का अमेरिकी इनाम है.
इसके अलावा शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई, प्रवक्ता जबिउल्लाह मोहम्मद, अनस हक्कानी, अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह, पूर्व मुजाहिदीन नेता गुलबुद्दीन हेकमतयार, मोहम्मद मोहाकिक और मोहम्मद करीम खलीली भी नई व्यवस्था का हिस्सा हो सकते हैं. अनस हक्कानी ने ही बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से मुलाकात के दौरान तालिबान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था.