झीरम रिपोर्ट आंध्रप्रदेश के मुख्य न्यायाधीश ने तैयार की है। छत्तीसगढ़ के इतिहास के अब तक के सबसे वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी होने के नाते उन्होंने संभवतः सर्वोच्च न्यायालय की 9-सदस्यीय संवैधानिक पीठ के स्टेट ओफ़ कर्नाटक विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य (1977 SCC (4) 608) में पारित बहुमत निर्णय कि अगर किसी न्यायिक जांच रिपोर्ट में राज्य सरकार के किसी मंत्री का उल्लेख आता है तो अनुच्छेद 164 में परिभाषित सामूहिक ज़िम्मेदारी के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए उसे मंत्री मंडल के स्थान पर राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल को सौंपना न्यायसंगत होगा का पालन करते हुए, अपनी रिपोर्ट महामहिम राज्यपाल को विधिवत सौंपी है।
ऐसे में जब तक महामहिम राज्यपाल रिपोर्ट का परीक्षण कर कोई निर्णय नहीं पर नहीं पहुंचती हैं, तब तक उस पर किसी भी प्रकार की राजनीति करना न्यायालय की अवमानना होगी। संभवतः क़ानून की इस अज्ञानता के कारण झीरम रिपोर्ट का राजनीतिकरण अत्यंत की दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।
मेरा सभी से विनम्रतापूर्वक आग्रह है विषय की संवेदनशीलता और संवैधानिकता और शहीदों के सम्मान को ध्यान में रखते हुए सभी को संयम और समझदारी बरतनी चाहिए।
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