
राजधानी के लोग 31 मार्च तक प्रापर्टी टैक्स जमा कर सकेंगे। इस हिसाब से गुरुवार को टैक्स जमा करने का आखिरी दिन है। 1 अप्रैल से टैक्स जमा करने पर 6 फीसदी पेनाल्टी जमा करनी होगी। ऐसा नहीं करने पर निगम ने निजी भवनों के अलावा काॅमर्शियल भवनों को कुर्क करने की चेतावनी दी है।
गौर करने वाली बात ये है कि यूजर चार्ज अपडेट नहीं होने व जिन लोगों को मकान का आईडी नंबर नहीं पता, इसे पता करने के लिए निगम के कर्मचारियों को 10 से 15 मिनट लग रहे हैं। कई बार इंटरनेट स्लो होने से ज्यादा समय लग सकता है। इसके बाद भी निगम ने लोगों को टैक्स पटाने के लिए कोई राहत नहीं दी है।
30 मार्च तक 160 करोड़ से ज्यादा का टैक्स मिल चुका है, जो पिछले साल की तुलना में 30 करोड़ रुपए ज्यादा है।टैक्स पटाने के लिए मार्च का महीना आखिरी होने के कारण लोग जोन कार्यालयों में टूट पड़े हैं। कुछ वार्डों में भी टैक्स जमा करने की सुविधा निगम ने दी है। बुधवार को जोन कार्यालयों में टैक्स पटाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
दिक्कत उन लोगों को हो रही है, जिन्हें न यूजर चार्ज मालूम है और न मकान का आईडी नंबर। जिन लोगों ने 4-5 साल या इससे ज्यादा समय से टैक्स नहीं पटाया है, ऐसे लोगों को बाद में आने कहा जा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि पहले टैक्स पटाने वालों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिन्होंने कई साल से टैक्स नहीं पटाया है, उनका टैक्स अपडेट करने की जरूरत है।
साल दर साल पेनाल्टी के साथ और भी कैलकुलेशन होते हैं, जिन्हें जोड़ना है। ऐसे में लोगों को बाद में आने को कह रहे हैं। इससे विवाद की स्थिति भी बन रही है।
एक दिन में 10 करोड़ टैक्स मिलने की उम्मीद
निगम के राजस्व विभाग के अपर कमिश्नर अरविंद शर्मा के अनुसार आखिरी दिन 10 करोड़ रुपए टैक्स मिलने की उम्मीद है। 30 मार्च तक 160 करोड़ का राजस्व प्राप्त हो चुका है।
जिन लोगों ने अभी तक प्रापर्टी टैक्स जमा नहीं किया है, वे 31 मार्च से पहले अपने पास के जोन कार्यालयों में जाकर जमा कर दें। लोगों को असुविधा न हो, इसके लिए सुबह से लेकर रात में अंतिम टैक्स पेयर के आने तक राजस्व कर्मी अपने जोन कार्यालयों में ही मौजूद रहेंगे। ऐसा 31 मार्च तक चलेगा।
मकान का टैक्स 1175, यूजर चार्ज 1800 रुपए
यूजर चार्ज को लेकर शुरू से बवाल मचा है। टिकरापारा के एक व्यक्ति को मकान का प्रापर्टी टैक्स 1175 रुपए व छोटी सी दुकान का यूजर चार्ज 1800 रुपए पटाना पड़ा। कर्मचारियों से पूछा तो कहा कि जो है, वो पटा दीजिए। बहस करने से कोई फायदा नहीं।
यही नहीं जिन लोगों से पिछले साल ज्यादा यूजर चार्ज लिया गया था, उनका टैक्स इस साल समायोजित भी नहीं किया गया। जबकि प्रापर्टी टैक्स की रसीद में 2021-22 के टैक्स में समायोजित करने की बात लिखी गई थी। कर्मचारी राशि समायोजित करने से साफ मुकर गए। ऐसे लोगों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। पिछले साल 1 करोड़ रुपए के आसपास यूजर चार्ज वसूला गया था।
मकान आईडी नहीं तो देरी
दरअसल टैक्स पटाने के लिए गूगल में निगम की वेबसाइट सर्च कर टैक्स के बारे में पता किया जाता है। इसमें मकान की आईडी डालने से पूरी डिटेल आ जाती है। फिर पीओएस मशीन में टैक्स संबंधी डिटेल भरा जाता है। इसी मशीन से एक छोटी सी रसीद निकलती है, जिसमें टैक्स का अमाउंट तो होता है, लेकिन पूरी डिटेल नहीं होती।
ये रसीद एटीएम मशीन की पर्ची की तरह होती है, जिसकी स्याही कुछ दिनों बाद गायब हो जाती है। ऐसे में कर्मचारी लोगों को रसीद की फोटोकॉपी करने को कह रहे हैं। इससे लोगों का काम भी बढ़ गया है। मोबाइल पर जो मैसेज आता है, उसमें भी टैक्स का पूरा ब्यौरा नहीं होता।