कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा में सरकारी रिकॉर्ड में मृत एक शख्स को सीएसईबी पुलिस ने जिंदा खोज निकाला. हाई कोर्ट में फौती प्रस्तुत करने के आदेश के बाद हकीकत सामने आई. हत्या के मामले में फैसले के खिलाफ सुनवाई चल रही है. इसी मामले में अभियुक्त को सरकारी रिकॉर्ड में मृत बता दिया गया था.
पुलिस के बुलावे पर अभियुक्त पुलिस स्टेशन पहुंचा और कहा कि साहब, मैं जिंदा हूं, मरा नहीं. दरअसल मारपीट और गैर इरादतन हत्या के मामले में नामजद किए गए राजेश बेलदार के साथ ऐसा ही हुआ. पेशी पर नहीं जाने के दौरान जो जानकारी मिली उस आधार पर पुलिस ने उसे तलब किया.
सीएसईबी पुलिस चौकी से जुड़े इस मामले ने कोरबा के ढोड़ीपारा वार्ड 15 में रहने वाले राजेश बेलदार को परेशान कर दिया. वर्ष 2010 में इसी इलाके में शराब पीने के दौरान गौरांग पाल के साथ मारपीट हो गई थी. घटना के बाद गौरांग की मौत हो गई थी, जिस पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया था.
राजेश ने बताया कि इस मामले में उसके साथ पत्नी और बहन को भी आरोपी बनाया गया था. इस प्रकरण में राजेश ने चार साल की सजा काट ली है. राजेश ने बताया कि संबंधित मामले में उसे कोर्ट ने बरी कर दिया था. इसके बाद दूसरे पक्ष ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. इसी सिलसिले में उसकी पेशी चल रही थी. पिछले दिनों पता चला कि उसे सरकारी रिकॉर्ड में किसी ने मृत घोषित कर दिया है. जबकि वह जीवित है.
पुलिस के समक्ष पहुंचा तो सामने आई हकीकत
केस के सिलसिले में पुलिस ने उसे चौकी तलब किया. सीएसईबी पुलिस चौकी प्रभारी आशीष सिंह ने बताया कि 323 और 304 ए आईपीसी के तहत राजेश को नामजद किया गया था. पेशी पर नहीं जाने के कारण उसकी खोजबीन हुई. इसी दौरान उसके जिंदा होने की पुष्टि हो गई. पुलिस ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए उसे न्यायालय में पेश कर दिया.
राजेश ने बताया की चार साल की सजा काटने के बाद लगातार कोर्ट में पेश हो रहा था.उसके बेटे की मौत हो गई. बेटे की मौत ने उसे पूरी तरह झंझोर दिया. इसके बाद वह पेशी में नहीं जा सका. उसे यह नहीं पता की अधिवक्ता ने जिंदा होने के बाद भी मृत क्यों बताया.
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