नई दिल्ली. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB Data) की तरफ से बुधवार को जारी आंकड़े बताते हैं कि देश में 2020 में हत्याओं में इजाफा हुआ है. हालांकि, 2019 की तुलना में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में कुछ कमी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, बलात्कार (Rape) के सबसे ज्यादा मामले राजस्थान (Rajasthan) में दर्ज किए गए. वहीं, 19 मेट्रो शहरों में अपराध की सूची में लगातार दूसरे वर्ष राजधानी दिल्ली (Delhi) सबसे ऊपर रही. उत्तर प्रदेश (UP) में सर्वाधिक हत्याएं हुईं.
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे देश में 2020 में बलात्कार के प्रतिदिन औसतन करीब 77 मामले दर्ज किए गए. पिछले साल दुष्कर्म के कुल 28,046 मामले दर्ज किए गए. देश में ऐसे सबसे अधिक मामले राजस्थान में और दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए. हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि देश में अपहरण के मामलों में कमी देखी गई है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले एनसीआरबी ने कहा कि पिछले साल पूरे देश में महिलाओं के विरूद्ध अपराध के कुल 3,71,503 मामले दर्ज किए गए जो 2019 में 4,05,326 थे और 2018 में 3,78,236 थे. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में महिलाओं के विरूद्ध अपराध के मामलों में से 28,046 बलात्कार की घटनाएं थी जिनमें 28,153 पीड़िताएं हैं. पिछले साल कोविड-19 के कारण लॉकडाउन लगाया गया था.
आंकड़े बताते हैं कि कुल पीड़िताओं में से 25,498 वयस्क और 2,655 नाबालिग हैं. एनसीआरबी के गत वर्षों के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में बलात्कार के 32,033, 2018 में 33,356, 2017 में 32,559 और 2016 में 38,947 मामले थे. पिछले साल बलात्कार के सबसे ज्यादा 5,310 मामले राजस्थान में दर्ज किए गए. इसके बाद 2,769 मामले उत्तर प्रदेश में, 2,339 मामले मध्य प्रदेश में, 2,061 मामले महाराष्ट्र में और 1,657 मामले असम में दर्ज किए गए. आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में बलात्कार के 997 मामले दर्ज किए गए हैं.
पिछले साल महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल मामलों में से, सबसे ज्यादा 1,11,549 ‘पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता’ की श्रेणी के थे जबकि 62,300 मामले अपहरण के थे. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 85,392 मामले ‘शील भंग करने के लिए हमला’ करने के थे तथा 3,741 मामले बलात्कार की कोशिश के थे. बताया गया है कि 2020 के दौरान पूरे देश में तेज़ाब हमले के 105 मामले दर्ज किए गए. आंकड़ों के मुताबिक, भारत में पिछले साल दहेज की वजह से मौत के 6,966 मामले दर्ज किए गए जिनमें 7,045 पीड़िताएं शामिल थीं.
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